लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्रों ने की डीन और टीचरों की पिटाई, सीएम योगी को काला झण्डा दिखाने की वजह से लगा था प्रतिबंध
By स्वाति सिंह | Published: July 4, 2018 05:31 PM2018-07-04T17:31:27+5:302018-07-04T17:58:43+5:30
लखनऊ यूनिवर्सिटी में कई थानों की फ़ोर्स को एक साथ तैनात कर दिया है। इसके साथ ही पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया है।
लखनऊ, 4 जुलाई: लखनऊ यूनिवर्सिटी के कैंपस में बुधवार को पीजी में एडमिशन ना मिलने को लेकर पूर्व छात्रों ने जमकर हंगामा किया। हंगामे के दौरान उन्होंने डीएसडब्ल्यू, डीन सीडीसी की पिटाई की है। जिसके बाद उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने स्टाफ की गाड़ियों पर भी जमकर पथराव किया गया है। वहीं दूसरी ओर इस घटना के बाद लखनऊ यूनिवर्सिटी फिलहाल बंद कर दिया गया है। इसके चलते यूनिवर्सिटी में चल रही एडमिशन की काउंसलिंग को भी रोका गया है।
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इस घटना के बाद स्थानीय पुलिस हरकत में आई है। लखनऊ यूनिवर्सिटी में कई थानों की फ़ोर्स को एक साथ तैनात कर दिया है। इसके साथ ही पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया है। वहां धरने पर बैठे पूर्व छात्रों को भी हटा दिया गया है। कुलपति एस पी सिंह ने कहा, 'दर्जन भर से अधिक शिक्षक घायल हुए हैं । मुझ पर भी हमला हो जाता लेकिन मेरे साहयोगियों ने मुझे बचा लिया । घटना को अंजाम देने वाले एलयू के छात्र नहीं थे बल्कि असामाजिक तत्व थे । वे खुद को सपा कार्यकर्ता बता रहे थे । हमलावरों की संख्या 25 से 30 के बीच थी ।' उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है । प्रवेश के लिए चल रही काउंसिलिंग को भी रोक दिया गया है । हम एफआईआर करने जा रहे हैं ।विश्वविद्यालय अब कब खुलेगा, इस सवाल पर कुलपति ने कहा कि अगले आदेश तक यह बंद रहेगा ।
घायलों में प्राक्टर विनोद सिंह, चीफ प्रोवोस्ट संगीता रानी और कुछ अन्य शिक्षक हैं । विश्वविद्यालय के कुछ सुरक्षाकर्मी भी घायल हुए हैं । पुलिस अधीक्षक ट्रांस गोमती हरेन्द्र कुमार ने बताया कि तीन लोगों को इस सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है । हम विश्वविद्यालय प्रशासन की तहरीर का इंतजार कर रहे हैं । कुलपति ने बताया कि परिसर में दो तीन दिनों से आंदोलन चल रहा था । यह आंदोलन प्रवेश से जुडी मांगों को लेकर था । आशंका है कि कुछ प्रदर्शनकारी भी शिक्षकों पर हुए हमले में शामिल थे ।
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क्या है पूरा मामला?
बीते साल 7 जून, 2017 में राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यूनिवर्सिटी पहुंचे थे। जहां छात्रों ने उन्हें काला झंडा दिखा कर वापस जाओ के नारे लगाए थे। इस मामले में तब कई छात्रों को गिरफ्तार कर उनको जेल भेजा गया था। हालाकिं बाद में सभी छात्र जमानत पर बाहर आ गए थे। उस वक्त इस मामले में समाजवादी पार्टी ने छात्रों पर चल रहे केस को वापस लेने की बात कही थी। वहीं यूनिवर्सिटी में समाजवादी छात्रसभा के सदस्य इसे लेकर प्रोटेस्ट भी कर रहे थे। बाद में यूनिवर्सिटी ने सीएम योगी के खिलाफ काला झंडा दिखाने वाले को दाखिला देने से इंकार कर दिया था। दाखिला न मिलने पर छात्रों ने विरोध करना शुरू कर दिया। अपना विरोध दिखने के लिए उन्होंने कैंपस हड़ताल करना शुरू किया। बताया जा रहा है कि मामले में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस सहित कई संगठन छात्रों को पूरा समर्थन दे रहे हैं।
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(भाषा इनपुट के साथ )