पटना, 5 जुलाई: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार कई दिनों से बीमार चल रहे हैं। जिसकी वजह से उन्होंने अपने कई कार्यक्रम भी स्थगित कर दिए हैं। हालांकि, विरोधी पार्टियां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इस बीमारी को 'पॉलिटिकल फीवर' का नाम दे रही हैं।
यहां उल्लेखनीय है कि मुख्यंत्री नीतीश कुमार बिहार की राजनीति के चाणक्य माने जाते हैं। अपने लंबे राजनीतिक सफर के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तमाम राजनीतिक दलों के साथ गलबहियां कर चुके हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब-जब बीमार होते हैं, राज्य में बडा राजनीतिक उलटफेर होता है। इस बार भी नीतीश की बीमारी राज्य में बडे परिवर्तन के संकेत दे रही है। बिहार की राजनीति में हर बार देखा गया है कि राजनीतिक उलटफेर से ठीक पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पॉलिटिकल फीवर से ग्रसित हो जाते हैं। साथ ही कुछ दिन आराम करने के बाद लोगों को चौंकाने वाले फैसले लेते हैं।
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16 जून 2013 को नीतीश कुमार ने भाजपा से 17 साल पुरानी दोस्ती तोड़ी थी। गठबंधन तोड़ने से पहले नीतीश कुमार बीमार हुए थे और कुछ दिन आराम करने के बाद सबको चौंकाने वाला फैसला लिया था। नीतीश कुमार ने 2014 में लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद अपने कैबिनेट के साथी जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था। बाद में कुछ महीनों के बाद ही जीतन राम मांझी नीतीश कुमार को खटकने लगे और तब भी नीतीश कुमार बीमार पड़े थे।
जीतन राम मांझी को हटाने के लिए नीतीश कुमार को लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस का साथ मिला और महागठबंधन अस्तित्व में आया था। उसके बाद जब लालू यादव के घर सीबीआई ने छापेमरी की थी तब भी नीतीश कुमार बीमार पडे थे और राजगीर में आराम फरमा रहे थे। उसके बाद उन्होंने राजद से संबंध तोड़ा था।
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वहीं अब 2019 लोकसभा चुनाव से पहले भी कई राजनीतिक अटकलों के बीच नीतीश कुमार एक बार फिर 'पॉलिटिकल फीवर' से ग्रसित हुए हैं। सीटों को लेकर भाजपा और जदयू के बीच खींचतान जारी है। ऐसे में यह माना यह जा रहा है कि सम्मानजनक समझौता नहीं होने की स्थिति में नीतीश एक बार फिर लोगों को चौंकाने वाला फैसला ले सकते हैं।