नई दिल्ली, 18 जून। नीति आयोग ने भारत में गहराते जल संकट की चिंता जनक स्थिति को दर्शाते हुए देश के लिए 'समग्र जल प्रबंधन सूचकांक' प्रस्तावित किया है। इस नए प्रस्ताव के मुताबिक, नीति आयोग ने उम्मीद जताई है कि यह सूचकांक देश के राज्यों में गहराते जल संकट पर सांकेतिक रूप में सार्वजनिक रूप से जानकारी प्रदान करेगा। नीति आयोग के इस नए प्रस्ताव के मुताबिक, भूमि गत जल, और वॉटर लेवल बढ़ाने के और उनके पुनर्स्थापन के लिए आधारभूत चीजें मुहैया करवाएगा।
इस योजना के लिए विभिन्न स्तरों पर समुदाय संगठनों/गैर सरकारी संगठनों को धनराशि मुहैया करवा कर इस लक्ष्य को पूरा करने की योजना है। इससे पहले नीति आयोग ने ‘समग्र जल प्रबंधन सूचकांक’ जारी कर देश में गहराते जल संकट के बारे में जानकारी दी।
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इस इंडेक्स में गुजरात सबसे ऊपर है। वहीं झारखंड सूची में सबसे निचले पायदान पर है। जबकि बैंगलोर और हैदराबाद की स्थिति सबसे ज्यादा चिंता जनक है। इस इंडेक्स की माने तो यहां साल 2020 तक भूजल यानी वॉटर लेवल न के बराबर हो जाएगा।
यह सूचकांक 9 व्यापक क्षेत्रों में भूमिगत, जल निकायों के स्तर में सुधार, सिंचाई, कृषि गतिविधियां, पेयजल नीति और संचालन व्यवस्था समेत कुल 28 विभिन्न संकेतकों के आधार पर तैयार किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक 75 प्रतिशत घरों में पीने के पानी का संकट है वहीं 70 प्रतिशत पानी प्रदूषित है। 84 प्रतिशत ग्रामीण घरों में पाइप के जरिए पानी की सप्लाई नहीं है।
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