Birbhum Violence: बीरभूम हिंसा पर NHRC ने लिया स्वतः संज्ञान, ममता सरकार से मांगी 4 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 24, 2022 09:45 PM2022-03-24T21:45:39+5:302022-03-24T21:58:16+5:30
आयोग ने गुरुवार को मामले में स्वतः संज्ञान लिया है और ममता सरकार को नोटिस भेजकर मामले में रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने इसके लिए राज्य सरकार को 4 सप्ताह का समय दिया है।
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के बीरभूम में हुई हिंसा को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सक्रिय हो गया है। आयोग ने गुरुवार को मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए ममता सरकार को नोटिस भेजकर मामले में रिपोर्ट मांगी है। जिसमें मामले में दर्ज प्राथमिकी की स्थिति, गांव में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदम और राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गई कोई राहत या पुनर्वास शामिल है। आयोग ने इसके लिए राज्य सरकार को 4 सप्ताह का समय दिया है।
आयोग ने पश्चिम बंगाल सरकार को भेजा नोटिस
आयोग के मीडिया एवं संचार उप निदेशक जैमिनी कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि बीरभूम में हिंसा की वारदात में छपी मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लेकर चीफ सेक्रेटरी और DGP के माध्यम से पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस भेज रिपोर्ट मांगी हैं। 4 सप्ताह का समय दिया है। सभी पक्षों को सुनकर आयोग सिफारिशें देगा।
टीएमसी नेता की हत्या के बाद भड़की थी हिंसा
मालूम हो कि 21 मार्च को एक टीएमसी नेता की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद यहां हिंसा भड़क गई। गुस्साई भीड़ ने 5 घरों में आग लगा दी थी, जिससे 2 बच्चों सहित आठ लोगों की जलकर मौत हो गई। राज्य सरकार ने गुरुवार को हिंसा में मरने वालों परिजनों को 5 लाख रुपये और सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है।
NHRC has taken cognizance of the media reports of violence in West Bengal & has sent notices to the state government through the chief secretary and DGP. We've sought reports from them within 4 weeks: Jaimini Kumar Srivastava, Deputy Director, Media and Communication, NHRCpic.twitter.com/PvDKQu42jC
— ANI (@ANI) March 24, 2022
मानव के अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए हुआ था NRHC का गठन
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन 12 अक्तूबर, 1993 को हुआ था। आयोग का अधिदेश, मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2006 द्वारा यथासंशोधित मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 में निहित है। यह आयोग, मानव अधिकारों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के प्रति कटिबद्ध है।