केरल का यह गांव बना देश का पहला सैनेटरी नैपकिन मुक्त गांव, महिलाओं को बांटे गए 5000 विशेष मैनस्ट्रुअल कप
By आजाद खान | Published: January 13, 2022 04:44 PM2022-01-13T16:44:33+5:302022-01-13T18:02:10+5:30
केरल में ‘थिंगल’ योजना के तहत 18 साल से ज्यादा उम्र वाली महिलाओं को यह विशेष मैनस्ट्रुअल कप बांटा गया है।
एर्नाकुलम: केरल का कुंबलांगी गांव देश का पहला गांव है जो सैनेटरी नैपकिन मुक्त गांव बनने जा रहा है। इस बात की जानकारी केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने गुरूवार को दी है। बता दें कि एक अभियान के तहत, इस गांव के महिलाओं को 5000 विशेष मैनस्ट्रुअल कप बांटे जाएंगे जो वह अपने मासिक धर्म में इस्तेमाल करेंगी। केरल का एर्नाकुलम जिला पहले ही अपने टूरिज्म के लिए जाना जाता है, अब वह इस वजह से भी पर्यटकों की पहली पसंद भी बनेगा। यह उपलब्धि एर्नाकुलम निर्वाचन क्षेत्र में चल रहे एक अनूठे अभियान का हिस्सा है।
कैसे कुंबलांगी गांव बना देश का पहला सैनेटरी नैपकिन मुक्त गांव
रिपोर्ट के मुताबिक, एचएलएल प्रबंधन अकादमी की ‘थिंगल’ योजना और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के साथ गठजोड़ के बाद एर्नाकुलम संसदीय क्षेत्र में यह अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत कुंबलांगी गांव के महिलाओं को 5000 विशेष मैनस्ट्रुअल कप बांटे जाएंगे। इन कप को गांव में 18 साल से ज्यादा उम्र वाली महिलाओं को बांटा जाएगा जो इन कप को अपने मासिक धर्म के दौरान इस्तेमाल करेंगी। इस पर बोलते हुए सांसद हिबी ईडन ने कहा, ”अवल्के आई’ (फॉर हर), मासिक धर्म कप के उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उनके वितरण में सहायता करने के लिए एर्नाकुलम संसदीय क्षेत्र में महिलाओं के लिए शिविर आयोजित करने की एक पहल है। यह महिलाओं के लिए आर्थिक रूप से व्यवहार्य और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प है, जिसे एक्सपोजर की जरूरत है।”
क्या होता है मैनस्ट्रुअल कप
बता दें कि मैनस्ट्रुअल कप एक ऐसा कप होता है जो महिलाएं अपने मासिक धर्म के दौरान आम तौर पर यूज किए जाने वाले सैनेटरी नैपकिन के जगह इस्तेमाल करती हैं। यह कप सैनेटरी नैपकिन से बहुत अच्छा, सुरक्षित और सस्ता होता है। इसका जीवन काल करीब 10 साल बताया जा रहा है। इसकी खुबियों को देखते हुए ही सैनेटरी नैपकिन के जगह इसको इस्तेमाल करने की सलाह दी जा रही है।