नई दिल्लीः केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि तमिलनाडु के 20 आदिनम (महंत) 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किए गए हैं। इस अवसर पर अंग्रेजों से सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दिया गया रस्मी राजदंड ‘सेंगोल’ भी स्थापित किया जाएगा।
विपक्षी दलों द्वारा नए संसद के उद्घाटन का बहिष्कार करने पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह लोकतंत्र का मंदिर है, यहां तक कि प्रधानमंत्री भी इसके कदमों पर झुककर संसद में प्रवेश करते हैं। मैं विपक्ष से विनम्रतापूर्वक अनुरोध करती हूं कि कृपया पुनर्विचार करें और समारोह में हिस्सा लें।
भारत के पहले भारतीय गवर्नर-जनरल सी. राजगोपालाचारी के परपोते सीआर केसवन ने कहा कि यह राजदंड पहले माउंटबेटन को दिया गया जिसे बाद में पुजारी को दी गई जिसे गंगाजल से पवित्र किया गया और बाद में नेहरू जी को दी गई। यह एक ऐतिहासिक घटना थी। इसके बार में किसी को नहीं पता था। इस राजदंड को इलाहाबाद संग्रहालय में यह कहकर रखा गया कि यह एक गोल्डन वॉकिंग स्टिक है जो पंजित नेहरू को दी गई थी।
तमिलनाडु, तेलंगाना और नगालैंड के राज्यपालों के साथ यहां पत्रकारों से बात करते हुए सीतारमण ने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री को ‘सेंगोल’ सौंपे जाने की घटना तमिलनाडु के लिए बेहद खास है। आजादी के बाद सत्ता हस्तानांतरण की प्रक्रिया के सिलसिले में नेहरू ने ‘राजाजी’ के नाम से लोकप्रिय पहले भारतीय गवर्नर जनरल सी आर राजगोपालाचारी से चर्चा की थी।
इसके बाद राजाजी ने इस संबंध में शैव संत तिरुवदुथुरई आदिनम से चर्चा की थी, जिसके बाद उनकी सलाह पर सत्ता हस्तानांतरण के लिए ‘सेंगोल’ तय किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। सीतारमण ने कहा कि उद्घाटन समारोह के लिए तिरुवदुथुरई, पेरूर और मदुरै सहित तमिलनाडु के 20 आदिनाम को कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया है।
तमिल में, आदिनम शब्द एक शैव मठ और ऐसे मठ के प्रमुख दोनों को संदर्भित करता है। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘आदिनम इस कार्यक्रम में शामिल होंगे, वहां ओडुवर (शैव शास्त्रों और भजनों के विद्वान) होंगे जो थेवरम का पाठ करेंगे। 1947 में भी जब ओथुवर्गल ने कोलारू पथिगम का पाठ किया था तब राजदंड को नेहरू को सौंप गया था।’’
उन्होंने कहा कि उसी राजदंड को लोकसभा में लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास बहुत श्रद्धा के साथ स्थापित किया जाएगा और यह ‘बिना किसी पक्षपात के न्यायपूर्ण शासन’ का प्रतीक होगा। तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि, उनके तेलंगाना तथा नगालैंड के समकक्ष क्रमशः तमिलसाई सुंदरराजन और ला गणेशन, केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन और तमिलनाडु के मंत्री पी के सकेर बाबू भी उनके साथ उपस्थित थे।