लिपूलेख दर्रे से होकर गुजरने वाली सड़क का भारत ने किया उद्घाटन, नेपाल ने जताई आपत्ति

By भाषा | Published: May 10, 2020 05:46 AM2020-05-10T05:46:04+5:302020-05-10T05:46:04+5:30

नेपाल ने लिपूलेख दर्रे को उत्तराखंड के धारचूला से जोड़ने वाली रणनीति दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण सर्कुलर लिंक रोड का भारत द्वारा उद्घाटन किए जाने पर शनिवार को आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि यह ‘‘एकतरफा कदम’ दोनों देशों के बीच सीमा मुद्दों को सुलझाने के लिए बनी सहमति के खिलाफ है।

Nepal objects to India's inauguration of the road passing through Lipulekh Pass | लिपूलेख दर्रे से होकर गुजरने वाली सड़क का भारत ने किया उद्घाटन, नेपाल ने जताई आपत्ति

प्रतीकात्मक तस्वीर। (Image Courtesy: Facebook/@nomadicridersahm)

Highlightsरणनीतिक और सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण तथा चीन की सीमा से सटे 17,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित लिपूलेख दर्रा इस सड़क के माध्यम से अब उत्तराखंड के धारचूला से जुड़ जाएगा। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सरकार को ‘‘बहुत खेद के साथ सूचना प्राप्त’’ हुई है कि लिपूलेख दर्रे को जोड़ने वाली सड़क का उद्घाटन किया गया है। नेपाल इस दर्रे को अपनी सीमा का हिस्सा मानता है।

नेपाल ने लिपूलेख दर्रे को उत्तराखंड के धारचूला से जोड़ने वाली रणनीति दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण सर्कुलर लिंक रोड का भारत द्वारा उद्घाटन किए जाने पर शनिवार को आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि यह ‘‘एकतरफा कदम’ दोनों देशों के बीच सीमा मुद्दों को सुलझाने के लिए बनी सहमति के खिलाफ है।

गौरतलब है कि रणनीतिक और सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण तथा चीन की सीमा से सटे 17,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित लिपूलेख दर्रा इस सड़क के माध्यम से अब उत्तराखंड के धारचूला से जुड़ जाएगा।

नेपाल के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सरकार को ‘‘बहुत खेद के साथ सूचना प्राप्त’’ हुई है कि लिपूलेख दर्रे को जोड़ने वाली सड़क का उद्घाटन किया गया है। नेपाल इस दर्रे को अपनी सीमा का हिस्सा मानता है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को 80 किलोमीटर लंबी इस नयी सड़क का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि आशा है कि इस सड़क के चालू होने से तिब्बत में कैलाश-मानसरोवर जाने वाले तीर्थयात्रियों को सुविधा होगी। यह तीर्थ लिपूलेख दर्रे से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर है।

राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये पिथौरागढ़ से वाहनों के पहले काफिले को रवाना किया। उन्होंने कहा कि कैलाश-मानसरोवर जाने वाले यात्री अब तीन सप्ताह के स्थान पर एक सप्ताह में अपनी यात्रा पूरी कर सकेंगे।

परियोजना 'हीरक' के मुख्य अभियंता विमल गोस्वामी ने कल बताया था कि सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस मार्ग के बन जाने से तवाघाट के पास मांगती शिविर से शुरू होकर व्यास घाटी में गुंजी और सीमा पर भारतीय भूभाग में स्थित भारतीय सुरक्षा चौकियों तक के 80 किलोमीटर से अधिक के दुर्गम हिमालयी क्षेत्र तक पहुंचना सुलभ हो गया है।

गोस्वामी ने बताया कि बूंदी से आगे तक का 51 किलोमीटर लंबा और तवाघाट से लेकर लखनपुर तक का 23 किलोमीटर का हिस्सा बहुत पहले ही निर्मित हो चुका था लेकिन लखनपुर और बूंदी के बीच का हिस्सा बहुत कठिन था और उस चुनौती को पूरा करने में काफी समय लग गया।

इस संपर्क मार्ग के उद्घाटन पर आपत्ति जताते हुए नेपाल के विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह एकतरफा कदम दोनों देशों के बीच प्रधानमंत्रियों के स्तर पर सीमा मुद्दों को सुलझाने के लिए बनी सहमति के खिलाफ है। सहमति बनी थी कि सीमा मुद्दों को बातचीत के जरिए सुलझाया जाएगा।’’ लिपूलेख नेपाल-भारत के बीच कालापानी के पास एकदम पश्चिमी बिंदू है। भारत और नेपाल दोनों ही दावा करते हैं कि कालापानी उनके देश का अभिन्न अंग है।

भारत का कहना है कि वह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा है जबकि नेपाल उसे धारचूला जिले का हिस्सा बताता है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘नेपाल सरकार हमेशा कहती रही है कि 1816 की सुगौली की संधि के मुताबिक काली (महाकाली) नदी के पूर्व में स्थित सारी जमीन, लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपूलेख नेपाल के हिस्से में जाएगी।’’ उसने कहा, ‘‘नेपाल सरकार ने इसे अतीत में भी कई बार दोहराया है और हाल ही में 20 नवंबर, 2019 को भारत सरकार द्वारा जारी नये राजनीतिक नक्शे के जवाब में उसे लिखे कूटनीतिक नोट के जरिए भी कहा था।’’ 

Web Title: Nepal objects to India's inauguration of the road passing through Lipulekh Pass

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