नीरी ने नमक-पानी के गरारे से आरटी-पीसीआर जांच करने की तकनीक एमएसएमई मंत्रालय को हस्तांतरित की
By भाषा | Updated: September 12, 2021 16:09 IST2021-09-12T16:09:31+5:302021-09-12T16:09:31+5:30

नीरी ने नमक-पानी के गरारे से आरटी-पीसीआर जांच करने की तकनीक एमएसएमई मंत्रालय को हस्तांतरित की
नयी दिल्ली, 12 सितंबर नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण आभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) ने नमक- पानी के गरारे (सलाइन गार्गल) से आरटी-पीसीआर जांच करने की स्वदेश विकसित तकनीक का पूरा ब्योरा व्यावसायीकरण के उद्देश्य से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय को हस्तांतरित किया है।
आरटी-पीसीआर जांच की यह तकनीक सरल, तेज, किफायती और रोगी के लिहाज से सुविधाजनक है।
रविवार को एक बयान में यह जानकारी देते हुए कहा गया कि इसके तत्काल परिणाम मिल जाते हैं और यह ग्रामीण तथा आदिवासी इलाकों के लिहाज से उचित है, जहां बहुत कम बुनियादी सुविधाएं हैं।
नीरी, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के तहत काम करने वाला संस्थान है।
बयान के अनुसार, ‘‘तकनीक की समस्त जानकारी एमएसएमई मंत्रालय को हस्तांतरित की गयी है। इससे इस नवोन्मेषी तरीके का व्यावसायीकरण होगा और सभी सक्षम पक्षों को लाइसेंस प्रदान किये जा सकेंगे जिनमें निजी, सरकारी और कई ग्रामीण विकास विभाग शामिल हैं।’’
लाइसेंस धारक आसानी से उपयोग वाले सुगम किट के रूप में व्यावसायिक उत्पादन के लिए इकाई लगा सकते हैं। मौजूदा कोविड महामारी की स्थिति में और इसकी तीसरी लहर की आशंका के बीच सीएसआईआर-नीरी ने देशभर में तकनीक के तेजी से प्रसार के लिए इसका त्वरित हस्तांतरण किया है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में 11 सितंबर को एक कार्यक्रम में यह प्रक्रिया संपन्न हुई। गडकरी ने इस संबंध में कहा, ‘‘सलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर जांच पद्धति को पूरे देश में, खासतौर पर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों तथा कम संसाधन वाले क्षेत्रों में लागू करना जरूरी है। इससे तेजी से परिणाम आएंगे और महामारी के खिलाफ हमारी लड़ाई और मजबूत होगी।’’
नीरी के अनुसार इस तकनीक में लोगों को दिये गये सलाइन (नमक-पानी) के गरारे लगभग 15 सैकंड तक करने होते हैं और उस सलाइन को जांच के नमूने के तौर पर प्रयोगशाला में भेजा जाता है।
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