‘ओडिशा की बेटी’ मुर्मू के गृह नगर रायरंगपुर में जश्न का माहौल, मिठाइयां बांटी और पटाखे फोड़े, भाजपा नेता पात्रा ने स्थानीय लोगों के साथ नृत्य किया, देखें वीडियो
By सतीश कुमार सिंह | Published: July 21, 2022 08:42 PM2022-07-21T20:42:42+5:302022-07-21T20:43:43+5:30
Presidential Election 2022: मयूरभंज जिले के रायरंगपुर शहर स्थित द्रौपदी मुर्मू के आवास के बाहर लोगों का जमावड़ा लगा है और वे आदिवासी संगीत पर थिरक रहे हैं।
रायरंगपुरः भाजपा नेता संबित पात्रा ने ओडिशा के पिपिली के जसुपुर गांव में स्थानीय लोगों के साथ नृत्य किया और जश्न मनाया। एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ‘ओडिशा की बेटी’ द्रौपदी मुर्मू भारत की नई राष्ट्रपति चुनी गई हैं। राष्ट्रपति पद की दौड़ में विजेता बनकर उभरी मुर्मू के गृह नगर रायरंगपुर समेत पूरे राज्य में जश्न का माहौल है।
मयूरभंज जिले के रायरंगपुर शहर स्थित मुर्मू के आवास के बाहर लोगों का जमावड़ा लगा है और वे आदिवासी संगीत पर थिरक रहे हैं। उत्सव का ऐसा ही नजारा जिले के पहाड़पुर गांव में भी देखने को मिला जोकि मुर्मू का ससुराल है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार मुर्मू का समर्थन करने वाले ओडिशा की सत्तारूढ़ पार्टी बीजू जनता दल (बीजद) के कार्यकर्ताओं समेत आम लोगों ने रायरंगपुर में मिठाइयां बांटी और पटाखे फोड़कर खुशी जतायी।
#WATCH | BJP leader Sambit Patra dances and celebrates with the locals in Jasuapur village in Pipili, Odisha as NDA's Presidential candidate #DroupadiMurmu gets elected as the new President of India. pic.twitter.com/YvJWUci2UC
— ANI (@ANI) July 21, 2022
भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में भी कार्यकर्ताओं ने मुर्मू की जीत पर जश्न मनाया। रायरंगपुर की स्थानीय निवासी सौदामिनी दास ने कहा, ‘‘हमारे पास मुर्मू पर गर्व करने के कारण हैं। वह हमें बहुत प्यारी है, उन्होंने हमारे साथ, हमारे सुख-दुख साझा किए हैं।’’ राष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की जीत पर उन्हें बधाइयां मिलनी शुरू हो गई हैं।
वहीं, मुर्मू की जीत से उत्साहित लोगों ने उत्तरी पश्चिम बंगाल के दुआर्स इलाके के चाय बागानों में जश्न मनाया। बागान में चाय तोड़ने का काम करने वाली ज्यादातर महिलाएं संथाल समुदाय की हैं जोकि अपना काम खत्म करने के बाद आदिवासी धुन पर नृत्य करती दिखीं। मुर्मू भी संथाल समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। जलपाईगुड़ी से करीब 16 किलोमीटर दूर स्थित डंगुआझार चाय बागान में भी पुरुषों ने लोक संगीत बजाया और महिलाओं ने जमकर नृत्य किया।