नई दिल्ली, 5 अप्रैल: भाजपा और एनडीए गठबंधन के सारे सांसदों ने ये फैसला किया है कि वो अपने 23 दिन का वेतन-भत्ता नहीं लेंगे। संसद नहीं चलने की वजह से सांसदों ने ये फैसला लिया है। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा- 'ये पैसे हमें जनता की सेवा करने के लिए मिलते हैं लेकिन अगर हम उनका काम नहीं करते हैं तो हम उनका पैसा लेने का कोई अधिकार नहीं है।' केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार सभी मुद्दे पर बहस के लिए तैयार थी लेकिन कांग्रेस के अड़ियल रूख की वजह से काम बाधित हुआ।
हाल ही में दिल्ली भाजपा अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी ने इस मसले को लेकर लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन को पत्र लिखा था। मनोज तिवारी ने स्पीकर को लिखे पत्र में उन सांसदों के वेतन काटने का जिक्र किया था, जिनका संसद में किसी भी तरह का 'उल्लेखनीय काम' में योगदान नहीं है। मनोज तिवारी ने अपनी पत्र में लिखा था कि जब संदन में सांसद किसी भी तरह का 'उल्लेखनीय काम' नहीं कर रहे हैं तो ऐसे में उनकी सैलेरी काटी जाए। अब समय आ गया है कि 'नो वर्क, नो पे' प्रक्रिया पर काम हो।
बता दें कि इस बार संसद के बजट सत्र के दूसरे हिस्से में दोनों ही सदनों में विपक्षी पार्टियों ने अलग-अलग मुद्दे को लेकर जमकर हंगामा किया है। जिसकी वजह से संसदीय कार्वाही बाधित हुई है।