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"एनसीएस ने दिल्ली-एनसीआर में आए भूकंपों के अध्ययन के लिए भूगर्भीय सर्वेक्षण शुरू किया'

By भाषा | Updated: January 5, 2021 18:14 IST

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नयी दिल्ली, पांच जनवरी राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) ने पिछले साल एनसीआर में आए भूकंपों के बाद भूकंपीय खतरों के सटीक आकलन के लिए दिल्ली क्षेत्र को लेकर एक भूभौतिकीय सर्वेक्षण शुरू किया है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने कहा कि एनसीएस पृथ्वी की सतह की खामियों का पता लगाने के लिए उपग्रह द्वारा ली गई तस्वीरों और भूगर्भीय क्षेत्र की जांच का विश्लेषण और विवेचना भी करेगा।

भूभौतिकीय और भूगर्भीय दोनों जमीनी सर्वेक्षणों के 31 मार्च तक पूरा होने की उम्मीद है।

इसके अलावा, 2020 में आए भूकंप के झटकों के बाद दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में भूकंपीय नेटवर्क को मजबूत किया गया है ताकि भूकंप के अधिकेंद्र स्थल की सटीकता में सुधार किया जा सके।

एनसीएस पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत एक निकाय है।

दिल्ली में 2020 के अप्रैल से लेकर अगस्त तक चार छोटे-छोटे भूकंप आए, दिल्ली की उत्तर-पूर्वी सीमावर्ती क्षेत्र में 12 अप्रैल को 3.5 तीव्रता वाला पहला भूकंप आया।

इन भूकंपों के बाद छोटे-छोटे झटकों की एक दर्जन घटनाएँ हुईं।

10 मई को 3.4 तीव्रता का दूसरा भूकंप आने के तुरंत बाद, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने भूकंप संबंधी गतिविधि से निपटने के लिए विशेषज्ञों के साथ विस्तृत चर्चा की।

मंत्रालय ने कहा, "यह महसूस किया गया है कि स्थानीय भूकंपीय नेटवर्क को मजबूत करके और उप-सतही लक्षणों का पड़ताल करके दिल्ली तथा आसपास के क्षेत्रों में आए भूकंपों के स्रोतों को चिह्नित करना आवश्यक है। हो सकता है इन्हीं में कुछ खामियां हो, जो भूकंप का कारण बन सकती है।’’

भूकंप और उनके झटकों के सटीक स्रोतों का पता लगाने के लिए 11 अस्थायी अतिरिक्त स्टेशनों को तैनात करके दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में भूकंपीय नेटवर्क को मजबूत बनाया गया ताकि क्षेत्र में ज्ञात दोषों को दूर किया जा सके।

इन स्टेशनों से डेटा लगभग वास्तविक समय में प्राप्त किया जाता है और क्षेत्र में सूक्ष्म और छोटे भूकंपों का पता लगाने के लिए उपयोग किया जाता है।

एमओईएस ने कहा, "दिल्ली क्षेत्र पर मैग्नेटो-टेल्यूरिक (एमटी) नामक एक भूभौतिकीय सर्वेक्षण किया जा रहा है।"

यह द्रव पदार्थ की उपस्थिति का पता लगाने में मदद करेगा, जो आमतौर पर भूकंप की आशंका को बढ़ाता है।

यह सर्वेक्षण वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून के सहयोग से किया जा रहा है।

एमओईएस ने कहा कि दोषों का पता लगाने के लिए उपग्रह की तस्वीरों और भूगर्भीय क्षेत्र की जांच का विश्लेषण भी किया जा रहा है।

मंत्रालय ने कहा, "एमटी सर्वेक्षण के परिणामों के साथ यह जानकारी भूकंपीय खतरे के सटीक आकलन में उपयोगी होगी। इसका उपयोग भूकंप रोधी इमारतों, औद्योगिक इकाइयों और अस्पतालों और स्कूलों जैसे महत्वपूर्ण संरचनाओं को डिजाइन करने के लिए भी किया जा सकता है।"

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर के सहयोग से एनसीएस यह अध्ययन कर रहा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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