नक्सल विरोधी मुहिम में सुरक्षा बलों की ताकत बनेगा राष्ट्रीय राजमार्ग, अबूझमाड़ में जारी अभियानों के दौरान मदद पहुंचाना होगा आसान
By फहीम ख़ान | Published: July 10, 2021 05:44 PM2021-07-10T17:44:32+5:302021-07-10T22:14:28+5:30
महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग का पर्यटन के साथ ही सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी भविष्य में फायदा हो सकता है।
नागपुरःमहाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग का पर्यटन के साथ ही सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी भविष्य में फायदा हो सकता है। हालांकि नक्सल विरोधी अभियान से जुड़े अधिकारी इस पर फिलहाल खुलकर बोल नहीं रहे हैं, लेकिन यह मार्ग पूरा हो जाने के बाद इन इलाकों में आवाजाही बढ़ने का असर नक्सलियों का इस इलाके में जो प्रभाव है, वह कम होने लगेगा। सनद रहे कि आज भी अबूझमाड़ इलाके में नक्सलियों का एकछत्र राज चल रहा है। अबूझमाड़ दक्षिणी छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल के नारायणपुर जिले में स्थित है।
छत्तीसगढ़ का अबूझमाड़ संसार के सबसे रहस्यमय स्थानों में से एक माना जाता है। करीब 4400 वर्ग किलोमीटर में फैले अबूझमाड़ के जंगलों, पहाड़ों, गहरी घाटियों के बीच गुमनाम करीब 237 गांवों का भू-सर्वेक्षण कभी नहीं हो पाया। मुगल शासकों से लेकर अंग्रेजों तक ने इसकी कोशिश की, लेकिन कभी सफल नहीं हो सके। हजारों साल से इस रहस्यमय इलाके में सुरक्षा बल, सरकारी मशीनरी प्रवेश नहीं कर सकी है।
छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ को नक्सलियों का गढ़ माना जाता रहा है। अब तक महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ पुलिस ही नहीं बल्कि अर्ध सैनिक बलों ने भी अबूझमाड़ को लेकर कई सारे संयुक्त अभियान चलाए हैं, लेकिन अब तक कभी इसमें बहुत ज्यादा कामयाबी नहीं मिली है। गढ़चिरोली पुलिस तुलना में नक्सलियों के इस गढ़ में ज्यादा अंदर तक घुसने में कामयाब रहीं है, लेकिन आमतौर पर यह भी दिखाई देता रहा है कि बड़ी वारदातों को अंजाम देने के बाद नक्सली अबूझमाड़ के घने जंगल और रहस्यमय पहाड़ियों के बीच छिप जाते हैं।
सीमावर्ती इलाकों में बढ़ेगी तैनाती
अबूझमाड़ इलाके में सुरक्षा बलों के साथ नक्सलियों की अक्सर मुठभेड़ होती है., लेकिन समय पर सुरक्षा बलों को मदद नहीं मिलने से कई बार अभियान में ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है। हालांकि राष्ट्रीय राजमार्ग बन जाने से सुरक्षा बलों को अभियान के दौरान अतिरिक्त मदद पहुंचाने का एक विकल्प उपलब्ध हो जाएगा। साथ ही महाराष्ट्र में अभी गढ़चिरोली पुलिस की आखिरी पुलिस चौकी लाहेरी में है। उन्हें भी राजमार्ग बन जाने के बाद दोनों राज्यों की सीमा पर तैनाती बढ़ाने का मौका मिल जाएगा। उधर छत्तीसगढ़ में भी सीमावर्ती इलाके में नई आउटपोस्ट बनाई जा सकती है।
आवाजाही बढ़ेगी तो युवाओं को बहका नहीं सकेंगे नक्सल
गढ़ चिरोली पुलिस महानिरीक्षण संदीप पाटिल ने कहा कि हमने अक्सर यह देखा है कि जिन इलाकों में बाहरी लोगों की पहुंच नहीं होती है, वहां के स्थानीय युवाओं को नक्सली ज्यादा बहकाने की कोशिश करते हैं। दूसरी ओर जब आवाजाही बढ़ जाती है और स्थानीय युवा बाहरी दुनिया से जुड़ने लगते हैं और उन्हें रोजगार के अवसर मिलने लगते हैं तो उन्हें बहकाना आसान नहीं रहता। इस राष्ट्रीय राजमार्ग से यह इलाका दुनिया से जुड़ जाएगा, तो निश्चित रूप से नक्सल विरोधी अभियान और सरकार की जनहित की योजनाओं को बल मिलेगा।