कृषि कानूनों पर मोदी सरकार का 'यूटर्न', बिहार में तेज हुई बयानबाजी, जानिए किसने क्या कहा

By एस पी सिन्हा | Updated: November 19, 2021 16:00 IST2021-11-19T15:59:53+5:302021-11-19T16:00:08+5:30

Narendra Modi government repeals farm lawas, Bihar leaders mixed reaction | कृषि कानूनों पर मोदी सरकार का 'यूटर्न', बिहार में तेज हुई बयानबाजी, जानिए किसने क्या कहा

कृषि कानूनों पर मोदी सरकार का 'यूटर्न', बिहार में तेज हुई बयानबाजी, जानिए किसने क्या कहा

पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सभी तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले के बाद बिहार के राजनैतिक गलियारों में बयानबाजी शुरू हो गई है. एक ओर जहां सूबे के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने केंद्र की ओर से लाए गए तीनों कानून किसानों के व्‍यापक हित में बताया, तो दूसरी ओर विपक्षी दल इस फैसले में देरी के लिए सरकार की आलोचना कर रहे हैं.

'बिहार के किसान नए कानूनों से खुश थे'

कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार ने भले इसे वापस लिया है लेकिन इसका संकेत भी है कि आगे समग्रता से इसपर विचार होगा. उन्होंने कहा कि वे बिहार के कृषि मंत्री हैं. बिहार के किसानों से इस कानून के प्रति जो फीडबैक मिला, वह ये था कि किसान काफी खुश थे. 

उन्होंने कहा कि लाभकारी खेती की दृष्टि से यह कानून चमत्‍कारिक रूप से मददगार होता. बिहार के लेागों ने इस कानून का स्‍वागत किया था. उन्होंने कहा कि चुनाव से जोड़ने की राजनीतिज्ञों की आदत ठीक नहीं है. वोट के पैमाने पर इसे नहीं देखते. किसानों के संदर्भ में ही कानून को देखा. विपक्ष के हौसले बुलंद होते रहें. आज भी इस उम्‍मीद में हैं कि आगे व्‍यापक रूप से समग्रता में बातों को समझा पाएंगे. 

अमरेंद्र प्रताप सिंह ने आगे कहा कि बिहार में विपक्ष ने माहौल बनाने की कोशिश की थी. लेकिन उनकी दाल नहीं गली. हम चाहते हैं कि यह कानून हमारे हित में था. विपक्ष को समझना चाहिए कि बडे हृदय का नेता ही इतना बडा निर्णय ले सकता है. लोकतंत्र में जोर-जबर्दस्‍ती से कानून लागू नहीं होता है. गांधी जी ने भी कई फैसले वापस लिए थे. लेकिन क्‍या इसे बैकफुट पर आना कहेंगे.

लालू ने कहा- ये किसानों की जीत

राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि 'विश्व के सबसे लंबे, शांतिपूर्ण व लोकतांत्रिक किसान सत्याग्रह के सफल होने पर बधाई. पूंजीपरस्त सरकार व उसके मंत्रियों ने किसानों को आतंकवादी, खालिस्तानी, आढतिए, मुट्ठीभर लोग, देशद्रोही इत्यादि कहकर देश की एकता और सौहार्द को खंड-खंड कर बहुसंख्यक श्रमशील आबादी में एक अविश्वास पैदा किया.' 

साथ ही उन्होंने कहा कि 'देश संयम, शालीनता और सहिष्णुता के साथ-साथ विवेकपूर्ण, लोकतांत्रिक और समावेशी निर्णयों से चलता है ना कि पहलवानी से! बहुमत में अहंकार नहीं बल्कि विनम्रता होनी चाहिए.' 

'छोटे किसानों की बेबसी खत्‍म करने का मकसद रह गया अधूरा'

वहीं, जदयू के नेता डा. अजय आलोक ने इस पर अफसोस जताते हुए कहा कि छोटे किसानों की बेबसी खत्‍म करने का मकसद पूरा नहीं हो सका. उन्‍हें फिर से बिचौलियों पर निर्भर रहना होगा. उन्‍होंने कहा कि ये संवेदना से परिपूर्ण एक प्रधानमंत्री का फैसला है, जो अत्‍यंत छोटे तबके को भी नजरअंदाज करने से इनकार करता है और अपने एक सही निर्णय को वापस लेता है. उन्‍होंने कहा कि इस देश में कुछ लोगों को सुधारों से परहेज है.

Web Title: Narendra Modi government repeals farm lawas, Bihar leaders mixed reaction

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