क्या बीजेपी के अन्दर 'मोदी-शाह' विरोधी खेमा गडकरी के पीछे हो रहा है लामबंद?
By विकास कुमार | Updated: January 29, 2019 16:44 IST2019-01-29T16:31:14+5:302019-01-29T16:44:24+5:30
सुषमा स्वराज विदेश मंत्री के रूप में अकेले फैसले लेने की स्थिति में नहीं दिख रही हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की विदेश मामलों में दखलंदाजी के कारण सुषमा स्वराज काफी समय से नाराज चल रही हैं.

क्या बीजेपी के अन्दर 'मोदी-शाह' विरोधी खेमा गडकरी के पीछे हो रहा है लामबंद?
नितिन गडकरी ऐसे तो अक्सर अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स और मोदी सरकार के सबसे परफार्मिंग मिनिस्टर के नाते चर्चा में बने रहते हैं लेकिन इन दिनों मोदी-शाह की जोड़ी पर निशाना साधने के कारण खबरों में बने हुए हैं। नेता जब जनता को सपने दिखाते हैं तो उन्हें बहुत अच्छा लगता है, लेकिन जब वादे पूरे नहीं होते हैं तो जनता पिटाई भी करती है। नितिन गडकरी का यही बयान आज कल भाजपा के लिए गले की हड्डी बन गया है। मीडिया के सामने दहाड़ने वाले नेता भी गडकरी के इस बयान पर प्रतिक्रिया देने से हिचकिचा रहे हैं।
नितिन गडकरी क्यों दोहरा रहे हैं बयान
नितिन गडकरी के हमलों में एक ही चीज कॉमन दिख रही है और वो है जनता को वही सपने दिखाने चाहिए जो पूरा किया जा सके। उनका निशाना सीधे-सीधे नरेन्द्र मोदी पर है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि नितिन गडकरी क्या ये बयान जानबूझकर दे रहे हैं या उनके इस बयानों में किसी और की भी मिलीभगत है। बीजेपी में मोदी-शाह की जोड़ी के सामने आज पूरी पार्टी छोटी दिखाई दे रही है। राजनाथ सिंह गृह मंत्री होते हुए भी गृह मंत्री की भूमिका में नहीं दिख रहे हैं।
सुषमा और जोशी की नाराजगी
सुषमा स्वराज विदेश मंत्री के रूप में अकेले फैसले लेने की स्थिति में नहीं दिख रही हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की विदेश मामलों में दखलंदाजी के कारण सुषमा स्वराज काफी समय से नाराज चल रही हैं। उन्होंने हाल ही में ये एलान किया है कि वो अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। पार्टी के मार्गदर्शक मंडल तो पहले ही नाराज चल रहे हैं। मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व वाली संसदीय समिति ने मोदी सरकार पर एनपीए को लेकर हाल ही में निशाना साधा था। शत्रुधन सिन्हा तो विरोध का बिगुल पिछले 2 वर्षों से बजा रहे हैं।
तो क्या नितिन गडकरी के नेतृत्व में मोदी-शाह की जोड़ी से नाराज में चल रहे नेताओं की टीम गोलबंद हो रही है। गडकरी 2009-13 तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। उस दौरान पूर्ती घोटाले में आरोप लगने के कारण उन्हें दोबारा कमान नहीं सौंपा गया। अमित शाह और नितिन गडकरी की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता उसी दौरान शुरू हो गई थी।
नितिन गडकरी की दबंग छवि
नितिन गडकरी को दबंग छवि वाला नेता माना जाता है। वोटबैंक की परवाह ना करते हुए अपने काम को लेकर सजग रहना ही उन्हें इनोवेटिव आईडिया, समय से पहले अपने काम को पूरा करना और राजनीतिक टिका-टिप्पणी से दूर रहना, पिछले कई वर्षों से यही नितिन गडकरी की छवि रही है। नितिन गडकरी अक्सर अपने काम को लेकर मीडिया को चुनौती देते नजर आते हैं।
देश में चारों तरफ सड़कों का जाल बिछाना हो या पानी में क्रुज चलाना हो, गंगा की सफाई का जिम्मा हो या पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के लिए सड़क निर्माण में प्लास्टिक का इस्तेमाल करना हो, गडकरी हमेशा अपने क्रिएटिविटी के लिए जाने जाते रहे हैं। विरोधी पार्टियों के नेता भी उनकी तारीफ में कसीदे पढ़ते हैं।
