नागपुरः बंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने उद्योग जगत के लिए जीएसटी प्रणाली पर एक अहम आदेश जारी किया हैै. कोरबा छत्तीसगढ़ स्थित डीवी प्रोजेक्ट लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य कर विभाग यूं ही मनमाने तरीके से किसी करदाता का इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) ब्लॉक नहीं कर सकता.
कानून में स्पष्ट है कि टैक्स इनपुट में कोई भी अनियमितता हो तो रकम ब्लॉक की जा सकती है, लेकिन केवल उतनी ही, जितनी रकम के अनियमितता का आरोप हो. हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि ईसीएल ब्लॉक करने के पूर्व संबंधित अधिकारियों को ठोस सबूतों के आधार पर ही यह फैसला लेना चाहिए. केवल काल्पनिक और मनचाहे कारणों से ईसीएल ब्लॉक नहीं किया जा सकता. ऐसा करने के लिए संबंधित अधिकारी के पास ठोस कारण होने चाहिए.
जनता की भलाई के लिए है शक्तियां
न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति अनिल किल्लोर की खंडपीठ ने अधिकारियों को उनके कर्तव्य की याद दिलाते हुए कहा कि अधिकारियों को कानूनन जो शक्तियां दी गई है, वे जनता की भलाई के लिए है. अपने प्रशासकीय फैसले लेते वक्त अधिकारियों को सोच समझ कर और कानून के दायरे में रहते हुए फैसले लेने चाहिए.
हाईकोर्ट ने राज्य कर विभाग के उस फैसले को खारिज कर दिया है, जिसके तहत याचिकाकर्ता कोरबा छत्तीसगढ़ स्थित डीवी प्रोजेक्ट लिमिटेड का इलेट्राॅनिक क्रेडिट लेजर (ईसीएल) ब्लॉक किया गया था. अधिकारियों को अपने फैसले पर पुनर्विचार की अनुमति भी दी गई है.
कंपनी ने उठाए थे सवाल
दरअसल कंपनी ने अधिवक्ता फिरदौस मिर्जा के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता ने इसमें कुछ अहम सवाल उठाए थे. प्रश्न था कि क्या ईसीएल ब्लॉक करना सीजीएसटी अधिनियम की धारा 87 के तहत अंतरिम रूप से प्रॉपर्टी अटैच करने जैसा हैै? अगर रकम ब्लॉक करनी हो तो उसकी सीमा क्या होनी चाहिए और रकम ब्लॉक करने का आधार क्या होना चाहिए? मामले में सभी पक्षों को सुनकर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है.