नई दिल्ली: राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) ने उच्च शिक्षा संस्थानों में सुधार के लिए ग्रेडिंग सिस्टम को समाप्त कर दिया है। इस बात का फैसला नैक कमेटी ने शुक्रवार को लिया। यह निर्णय उन सभी कॉलेज पर लागू होगा, जो भारतीय उच्च शिक्षा संस्थान के अंर्तगत आते हैं।
नैक ने शनिवार को आयोजित कार्यकारी परिषद की बैठक में नैक ने यह भी निर्णय लिया कि मान्यता प्राप्त संस्थानों को उच्चतम स्तर हासिल करने हेतु एक से लेकर पांच तक के स्तर पर रखा जाएगा, जिससे उनकी परफॉर्मेंस का पता चल सके। सुधारों के साथ इसे दो चरणों में लागू किया जाएगा। अगले चार महीनों में या दिसंबर तक बाइनरी मान्यता (मान्यता प्राप्त या गैर-मान्यता प्राप्त) प्रणाली और मैचुरिटी-आधारित ग्रेड मान्यता के तहत इन संस्थानों को 1 से लेकर 5 तक लेवल में शामिल किया जाएगा ।
शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि बाइनेरी एक्रीडेशन सिस्टम का मकसद सभी उच्च संस्थानों को प्रोत्साहित करना है, जिससे उनमें शिक्षा के स्तर में सुधार हो सके। उन्होंने आगे कहा, बाइनरी प्रणाली दुनिया के कई अग्रणी देशों में अपनाई जाने वाली सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुसार भारत में भी इसे लागू किया गया है।
इसके अलावा मान्यता प्राधिकरण मैचुरिटी आधारित ग्रेड मान्यता (स्तर 1 से 5) का उपयोग मान्यता प्राप्त संस्थानों को 5 के उच्चतम स्तर को प्राप्त करने के लिए अपने स्तर को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए करेगा। इससे होगा ये कि संस्थान बहु-अनुशासनात्मक अनुसंधान और शिक्षा के लिए वैश्विक उत्कृष्टता संस्थान की रेस में शामिल होंगे।
वर्तमान प्रणाली के अनुसार, मूल्यांकन का एक महत्वपूर्ण परिणाम संस्थानों की अंतिम ग्रेडिंग है। मूल्यांकन के बाद किसी संस्थान के संचयी ग्रेड प्वाइंट औसत (सीजीपीए) की गणना उन संस्थानों के लिए की जाती है जो ग्रेड क्वालिफायर को पास करते हैं। संस्थान द्वारा अधिकतम संभव स्कोर 4.00 में प्राप्त सीजीपीए के आधार पर, अंतिम ग्रेड सात अंक के पैमाने पर दिया जाता है। वहीं, 7 प्वाइंट्स किसी भी उच्च संस्थान को दिया जाता था, जो विशिष्ट श्रेणी के अंर्तगत आता था।