ब्लॉग: मेडिकल छात्रों में तनाव के आंकड़े चिंताजनक

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: April 13, 2024 10:07 AM2024-04-13T10:07:09+5:302024-04-13T10:13:09+5:30

नेशनल मेडिकल कमीशन को ऐसी शिकायतें मिलती रहती हैं और उसकी ओर मेडिकल कॉलेजों को समय-समय पर सख्त हिदायतें भी दी जाती रहती हैं। नागपुर मेडिकल के नर्सिंग कॉलेज के एक विद्यार्थी द्वारा आत्महत्या किए जाने का मामला सामने आने के बाद एक बार फिर मेडिकल क्षेत्र के विद्यार्थियों के तनाव में रहने की चर्चा है।

Statistics of stress among medical students are worrying | ब्लॉग: मेडिकल छात्रों में तनाव के आंकड़े चिंताजनक

फाइल फोटो

Highlights12वीं के बाद विद्यार्थियों का सपना मेडिकल क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना होता हैप्रवेश के लिए उन्हें ऊंचे अंकों के साथ कई पड़ाव पार करने पड़ते हैंइस कारण उनमें तनाव पैदा होता है और वे आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं

12वीं के बाद अनेक विद्यार्थियों का सपना मेडिकल क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना होता है। प्रवेश के लिए उन्हें ऊंचे अंकों के साथ कई पड़ाव पार करने पड़ते हैं। मेडिकल की पढ़ाई में मानसिक तनाव से भी गुजरना पड़ता है। इसके अलावा अतिरिक्त कार्यभार, परीक्षा परिणाम या कॉलेज में अन्य परेशानी जैसे मानसिक दबावों को कई विद्यार्थी झेल नहीं पाते। तनाव के चलते वे आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। कई बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं। 

नेशनल मेडिकल कमीशन को ऐसी शिकायतें मिलती रहती हैं और उसकी ओर मेडिकल कॉलेजों को समय-समय पर सख्त हिदायतें भी दी जाती रहती हैं। नागपुर के मेडिकल के नर्सिंग कॉलेज के एक विद्यार्थी द्वारा आत्महत्या किए जाने का मामला सामने आने के बाद एक बार फिर मेडिकल क्षेत्र के विद्यार्थियों के तनाव में रहने की चर्चा है। इस संबंध में यहां मेडिकल के मनोचिकित्सा विभाग द्वारा एमबीबीएस के 250 विद्यार्थियों पर किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि इनमें से 40 प्रतिशत विद्यार्थी तनाव में हैं। यह आंकड़ा चिंताजनक है. उच्च स्तर का तनाव मेडिकल छात्रों के संज्ञानात्मक कामकाज और सीखने पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। 

चिकित्सा को करियर के रूप में चुनने से पहले करियर-उन्मुख परामर्श की कमी एमबीबीएस छात्रों को तनावग्रस्त करती है। एमबीबीएस कठिन, समय लेने वाला और अत्यधिक समर्पण वाला क्षेत्र है और इसमें कड़ी मेहनत की आवश्यकता है। यह परिवार पर भी बड़ा वित्तीय बोझ डालने वाली पढ़ाई है। एक अध्ययन के मुताबिक साल 2010 से 2019 के बीच मेडिकल छात्रों (125), निवासियों (105) और फिजिशियन (128) को मिलाकर कुल 358 छात्रों ने आत्महत्या की। 

आत्महत्या के कई कारण हो सकते हैं जैसे पूरे सप्ताह रात-दिन की शिफ्ट, कई घंटे तक काम करना, परिवार से दूरी, नकारात्मक माहौल, असहयोगी प्रशासन, नींद की कमी, पैसे की कमी, परीक्षा का तनाव, कभी-कभी अमानवीय रैगिंग, जाति-आधारित भेदभाव और क्षेत्रवाद से जुड़ी कठिनाइयां भी इन्हें झेलनी पड़ती हैं। लगभग सभी मेडिकल कॉलेजों में नियम, सुरक्षा उपाय और सहायता प्रणाली प्रदान की जाती है, लेकिन कठोर कार्यान्वयन की कमी है। 

एमबीबीएस छात्रों और डॉक्टरों के बीच मानसिक स्वास्थ्य संकट एक चिंताजनक प्रवृत्ति है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। चिकित्सा पाठ्यक्रमों में मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा को शामिल करके सुनिश्चित किया जा सकता है कि चिकित्सा पेशेवर अपनी भावनात्मक भलाई का ध्यान रखें और जरूरत पड़ने पर सहायता लें। मानसिक स्वास्थ्य भी शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही महत्वपूर्ण है।

Web Title: Statistics of stress among medical students are worrying

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