मुजफ्फरनगर: पांच सितंबर को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में किसान महापंचायत आयोजित की गई। इस महापंचायत में किसान संगठनों ने हर जाति, धर्म, वर्ग और राज्यों के लोगों के शामिल होने की बात कही जा रही है।
महापंचायत के बाद भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत की एक 6 सेंकेड की वीडियो क्लिप वायरल हो रही है जिसमें टिकैत 'अल्ला-हू-अकबर' का नारा लगाते देखें जा रहे हैं। टिकैत यह नारा महापंचायत के मंच से ही लगाते दिख रहे हैं।
उनके साथ मंच पर किसान महापंचायत के और लोग भी यह नारा उनके साथ लगाते हुए वीडियो में देखे जा सकते हैं। इस वीडियो के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर कई लोग राकेश टिकैत की आलोचना कर रहे हैं।
कई यूजर्स ने तो उन्हें तुष्टीकरण न करने की सलाह दे डाली तो कईयों ने टिकैत को मुस्लिम परस्त तक बता दिया। लेकिन वायरल हो रही इस 6 सेकेंड की क्लिप के पिछे का क्या कुछ और ही है।
साल 2013 के साल में सांप्रदायिक दंगों का गवाह रही मुजफ्फरनगर की धरती 5 सितंबर को किसान महापंचायत के दौरान अलग ही रंग में नजर आई। महापंचायत में विभिन्न राज्यों से शामिल होने आए लोगों से सारा कस्बा भरा दिखाई दिया। वहीं शहर में आए किसानों के लिए स्थानीय लोगों ने बंदोबस्त करने में कोई कमी नहीं रखी।
महापंचायत के मंच पर जब राकेश टिकैत पहुंचे तो उन्होंने माइक पकड़ते ही सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की बात की। उन्होंने कहा की एकजुट होने में ही किसानों की भलाई हैं। इस मौके पर मंच से सत श्री अकाल के नारे लगते भी देखे गए।
पश्चिमी यूपी में एक दौर ऐसा था जब जाट और मुस्लिम समुदाय बेहद करीब थे। मुजफ्फरनगर जाटलैंड का हिस्सा तो है ही, शहर के जिस जीआईसी ग्राउंड में महापंचायत हुई थी, वह मुस्लिम बहुल इलाका है।
बताया जाता है कि जाट और मुस्लिमों का भाईचारा 2013 के दंगों की भेंट चढ़ गया था। 2013 दंगों के बाद हुए चुनावों में बीजेपी को सीधा फायदा मिला। 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने वेस्ट यूपी में आरएलडी की जाट-मुस्लिम केमिस्ट्री को तोड़ते हुए नया समीकरण साधा।
यह सिलसिला 2019 लोकसभा चुनाव में भी जारी रहा। लेकिन अब किसान आंदोलन की अगुआई कर रही भारतीय किसान यूनियन (BKU) जाट-मुस्लिम समुदाय की खाई को पाटने का काम कर रही है।
बीकेयू के पदाधिकारी जाट और मुस्लिम दोनों समाज से आते हैं। जाटलैंड में किसानों के शक्ति प्रदर्शन के बीच यह सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या राकेश टिकैत एक बार फिर जाट-मुस्लिम पॉलिटिक्स साधने की कोशिश कर रहे हैं। शायद महापंचायत के मंच से लग रहे नारों के पीछे भी यहीं वजह है।