मुसलमानों को भी जाति आधारित जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए : मुस्लिम निकाय
By भाषा | Updated: September 9, 2021 19:33 IST2021-09-09T19:33:50+5:302021-09-09T19:33:50+5:30

मुसलमानों को भी जाति आधारित जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए : मुस्लिम निकाय
नयी दिल्ली, नौ सितंबर मुसलमानों के पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले विभिन्न निकायों ने बृहस्पतिवार को मांग की कि किसी भी जाति आधारित जनगणना में मुसलमानों को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि हिंदुओं की तरह मुस्लिम भी विभिन्न जातियों और उप-जातियों में विभाजित हैं।
पूर्व सांसद एवं आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के अध्यक्ष अली अनवर ने जाति आधारित जनगणना की कई राजनीतिक दलों की मांग का समर्थन किया और कहा कि ऐसी किसी भी जनगणना में सभी धर्मों को शामिल किया जाना चाहिए।
अनवर ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि हिंदू समुदाय की तरह मुस्लिम समाज भी विभिन्न जातियों और उप-जातियों में विभाजित है।
अनवर ने 2017 में जद (यू) के भाजपा से हाथ मिलाने का विरोध किया था और उसके बाद उन्हें जद (यू) से निष्कासित कर दिया गया था। अनवर ने आरोप लगाया कि भाजपा नीत सरकार मुसलमानों को "द्वितीय श्रेणी का नागरिक" बनाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने मुसलमानों के पिछड़े वर्गों की चिंताओं पर गौर नहीं करने के लिए तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों की भी आलोचना की।
इस अवसर पर एक पुस्तिका का विमोचन किया गया जिसमें यह मांग की गई कि अनुसूचित जाति के लोगों को मिलने वाले लाभ मुसलमानों और ईसाइयों के "दलित" वर्गों को भी दिए जाने चाहिए।
अनवर ने कहा कि रंगनाथ मिश्रा आयोग और सच्चर समिति की रिपोर्टों में इसी तर्ज पर सिफारिशें की गई हैं। उन्होंने कहा कि जाति आधारित किसी भी जनगणना में सभी समुदायों और धर्मों को शामिल किया जाना चाहिए।
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