गुजरात के लोथल में भारत के समुद्री इतिहास पर संग्रहालय स्थापित किया जाएगा
By भाषा | Updated: June 16, 2021 19:42 IST2021-06-16T19:42:36+5:302021-06-16T19:42:36+5:30

गुजरात के लोथल में भारत के समुद्री इतिहास पर संग्रहालय स्थापित किया जाएगा
नयी दिल्ली, 16 जून संस्कृति मंत्रालय जहाजरानी और बंदरगाह मंत्रालय (एमओएसपीडब्ल्यू) के सहयोग से गुजरात के लोथल में देश के 5,000 साल के समुद्री इतिहास को समर्पित एक संग्रहालय स्थापित करेगा। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
दोनों मंत्रालयों ने गुजरात के लोथल में ‘राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर के विकास में सहयोग के लिए’ बुधवार को सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
संस्कृति मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक, लोथल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) स्थल के आसपास के क्षेत्र में विश्व स्तरीय प्रतिष्ठान विकसित किया जाएगा। लोथल, अहमदाबाद से करीब 80 किलोमीटर दूर है।
एनएमएचसी को एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा जहां भारत की समुद्री विरासत - प्राचीन से आधुनिक समय तक - प्रदर्शित की जाएगी और देश की समुद्री विरासत के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
एमओएसपीडब्ल्यू के तहत सागरमाला कार्यक्रम की अनूठी और नवीन परियोजना श्रेणी के अंतर्गत एनएमएचसी परियोजना को लिया गया है। गुजरात सरकार ने सारगवाड़ा गांव में 375 एकड़ जमीन को 99 साल के लिए सांकेतिक दर पर एमओएसपीडब्ल्यू को पट्टे पर दिया है।
संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कहा, “यह परिसर भारत की हजारों साल पुरानी समुद्री ताकत को प्रदर्शित करेगा।” मास्टर प्लान और अपेक्षित डिजाइन तैयार करने के लिए जाने-माने आर्किटेक्ट हाफिज कॉन्ट्रैक्टर को ‘प्रिंसिपल प्रोजेक्ट कंसल्टेंट’ के रूप में चुना गया है।
राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय में लाइटहाउस संग्रहालय, विरासत थीम पार्क, संग्रहालय-थीम होटल, समुद्री थीम पर आधारित ईको-रिजॉर्ट और समुद्री संस्थान समेत अन्य ढांचे होंगे जिन्हें चरणबद्ध तरीके से विकसित किया जाएगा।
एनएमएचसी की खास बात यह है कि इसमें प्राचीन लोथल शहर का पुन:निर्माण किया जाएगा जो सिंधू घाटी सभ्यता में अहम शहरों में शामिल था।
एमओपीएसडब्ल्यू मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा, “ एनएमएचसी को देश में अपनी तरह के पहले संग्रहालय के तौर पर विकसित किया जाएगा जो भारत की समुद्री विरासत की धरोहर को समर्पित होगा और भारत के समृद्ध एवं विविध समुद्री गौरव को प्रदर्शित करेगा।”
यह संग्रहालय परियोजना शुरू होने के बाद तीन साल में पूरी हो जाएगा।
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