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मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवेः मराठा आरक्षण समर्थक विनायक मेटे की सड़क दुर्घटना में मौत, रसायनी थाना क्षेत्र के मडप सुरंग के पास कार और वाहन में टक्कर

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 14, 2022 14:00 IST

Mumbai-Pune Expressway: दुर्घटना सुबह करीब पांच बजकर पांच मिनट पर पड़ोसी रायगढ़ जिले के रसायनी थाना क्षेत्र के मडप सुरंग के पास हुई। दुर्घटना के वक्त कार में एक अन्य व्यक्ति और उनका ड्राइवर था।

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ठळक मुद्देमडप सुरंग के पास एक वाहन ने उनकी कार को टक्कर मार दी और सभी को गंभीर चोटें आईं।घायलों को नवी मुंबई के कामोठे के निजी अस्पताल ले जाया गया जहां मेटे को मृत घोषित कर दिया गया। मराठवाड़ा क्षेत्र के बीड जिले के रहने वाले पूर्व विधान पार्षद मराठा आरक्षण के समर्थक थे।

मुंबईः शिव संग्राम पार्टी के नेता और महाराष्ट्र विधान परिषद के पूर्व सदस्य विनायक मेटे की रविवार सुबह मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। वह 52 वर्ष के थे। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। मेटे मराठा समुदाय के लिए आरक्षण के कट्टर समर्थक थे।

अधिकारी ने बताया कि दुर्घटना सुबह करीब पांच बजकर पांच मिनट पर पड़ोसी रायगढ़ जिले के रसायनी थाना क्षेत्र के मडप सुरंग के पास हुई। उन्होंने कहा कि दुर्घटना के वक्त कार में एक अन्य व्यक्ति और उनका ड्राइवर था। अधिकारी ने कहा कि मडप सुरंग के पास एक वाहन ने उनकी कार को टक्कर मार दी और सभी को गंभीर चोटें आईं।

उन्होंने कहा कि घायलों को नवी मुंबई के कामोठे के निजी अस्पताल ले जाया गया जहां मेटे को मृत घोषित कर दिया गया। पनवेल के एमजीएम अस्पताल में मेटे की जांच करने वाले एक डॉक्टर ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि नेता को गंभीर रूप से घायल अवस्था में अस्पताल लाया गया था।

डॉक्टर ने कहा, ‘‘उन्हें सुबह करीब छह बजकर 20 मिनट पर लाया गया था। उनकी नाड़ी या रक्तचाप बंद हो गया था और उनकी आंख की पुतली हिल नहीं रही थी। अस्पताल लाने से पहले उनकी मृत्यु हो गई थी। हमने एक ईसीजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) भी किया, लेकिन उसमें सपाट रेखा दिख रही थी (जो दिल नहीं धड़कने का संकेत था)।’’

मराठवाड़ा क्षेत्र के बीड जिले के रहने वाले पूर्व विधान पार्षद मराठा आरक्षण के समर्थक थे। वह एक बैठक में शामिल होने के लिए मुंबई जा रहे थे। महाराष्ट्र के मंत्री और पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि मेटे की मौत उनके लिए सदमे की तरह है। पाटिल ने कहा, ‘‘वह वास्तव में मराठा आरक्षण के मुद्दे को उठा रहे थे। यह हमारे और मराठा समुदाय के लिए बहुत बड़ी क्षति है।’’

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने भी मेटे के निधन पर दुख जताया है। पवार ने एक टीवी चैनल से कहा, ‘‘उनका ध्यान राजनीतिक मुद्दों की तुलना में सामाजिक मुद्दों पर अधिक था। वह एक नेता की तुलना में एक सामाजिक कार्यकर्ता अधिक थे।’’ पवार ने कहा, ‘‘यह हमारे लिए बहुत बड़ा झटका है। वह पहले भी राकांपा का हिस्सा थे।

उन्होंने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठों के लिए आरक्षण की मांग को आगे बढ़ाया।’’ कांग्रेस नेता और मराठा आरक्षण पर महाराष्ट्र उप-समिति के पूर्व अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा, ‘‘मेटे जैसे नेता को खोना दुर्भाग्यपूर्ण है। अलग-अलग राजनीतिक दलों में होने के बावजूद, राज्य में मराठा आरक्षण के मुद्दे पर मेटे और मेरा लगभग एक ही मत था।’’

2008 में मेटे और उनके संगठन के कुछ अन्य कार्यकर्ताओं ने अरब सागर में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित करने के तत्कालीन राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ अखबार में एक संपादकीय का विरोध करने के लिए एक मराठी दैनिक के तत्कालीन संपादक कुमार केतकर के ठाणे स्थित आवास पर हमला किया था। 

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