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मुकेश अंबानीः विस्फोटक छड़ों का नागपुर कनेक्शन, एजेंसियां जांच में जुटी, जानें पूरा मामला

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 27, 2021 19:57 IST

उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के पास विस्फोटकों के साथ बृहस्पतिवार को खड़ा पाया गया वाहन पिछले हफ्ते चोरी हो गया था.

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ठळक मुद्देएक पत्र भी मिला है, जिसमें इसे आने वाली चीजों की महज एक झलक बताया गया है.अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है.एंटीलिया के पास स्कॉर्पियो खड़ी पायी गयी थी, जिसमें ढाई किलोग्राम जिलेटिन की छड़ें रखी हुई थी.

नरेश डोंगरे

नागपुरः प्रसिद्ध उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित निवास एंटीलिया के पास मिले विस्फोटक का नागपुर कनेक्शन सामने आया है.

यह नागपुर के सोलर एक्सप्लोसिव कंपनी से बाहर गए थे. इसके चलते एक बार फिर जांच एजेंसियों का रुख नागपुर की ओर गया है. स्थानीय पुलिस और मीडिया द्वारा संबंधित कंपनी प्रबंधन से लगातार पूछताछ हो रही है, जिसके बाद नागपुर की विस्फोटक कंपनियां दोबारा चर्चा में आ गई हैं. नागपुर जिले में छड़ें, पाउडर सहित द्रव स्वरूप के विस्फोटक निर्माण करने वाली सात एक्सप्लोसिव कंपनियां हैं.

वर्ष 2008 के नियमानुसार केंद्र सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ इंडस्ट्री एंड पेट्रोलियम ऑफ सेफ्टी (पेसो) के दिशा-निर्देशों के अनुसार विस्फोटक उत्पादक कंपनी के साथ ही उनकी खरीदी-बिक्री का व्यवहार करने वालों को भी पेसो से परमिट दिए जाते हैं. कंपनियों में उत्पादित प्रत्येक विस्फोटक के उत्पादन और खरीदी-बिक्री की जानकारी भी पेसो के पोर्टल पर दर्ज की जाती है.

कंपनी से अधिकृत परमिट धारक वितरक को ही विस्फोटक दिए जाते हैं. पुलिस को भी उत्पादन और खरीदी-बिक्री की प्रत्येक गतिविधियों की सूचना दी जाती है. इन कार्यों के लिए होता है उपयोग जिलेटिन, ईमल्शन का उपयोग कोयला खदान, कुएं की खुदाई और प्रस्तावित मार्ग निर्माण में आने वाली ऊंची टेकडि़यों को उड़ाने या काटने के लिए किया जाता है. एक बॉक्स में जिलेटिन, ईमल्शन की 200 छड़ें होती हैं. वहीं खरीदी का ऑर्डर देने वाली अधिकांश कंपनियां 100 से 200 बॉक्स की मांग करती हैं.

बॉक्स पर होते हैं बार कोड जिस बॉक्स में विस्फोटक दिए जाते हैं, उस पर बैच नंबर और एक बार कोड दर्ज किया जाता है. इसके चलते पेसो के पोर्टल पर बॉक्स का ट्रैक मिलता है. इससे विस्फोटक किसे बिक्री किए गए थे, वहां से किसके पास पहुंच गए, यह पूरी जानकारी पेसो पोर्टल पर दर्ज की जाती है. जिलेटिन नहीं ईमल्शन अंबानी के बंगले के पास मिली छड़ों की तीव्रता जिलेटिन से सौम्य होती है.

इसे ईमल्शन्स कहा जाता है. जिलेटिन साधारणत: सात साल तक उपयोग में लाए जाते हैं. जबकि ईमल्शन का पॉवर केवल छह माह तक रहता है, इसके बाद ईमल्शन काम की नहीं रहती है. वहां मिली छड़ों में विस्फोट नहीं होता सोलर एक्सप्लोसिव के महाप्रबंधक सोमेश्वर मुंदड़ा ने 'लोस' को बताया कि अंबानी के बंगले के पास मिले विस्फोटक (ईमल्शन) काम के नहीं हैं. जब तक उससे डिटोनेटर्स को जोड़ा नहीं जाता है, उसमें विस्फोट नहीं होगा.

इस ईमल्शन की छड़ों को फेंककर मारने या उस पर भारी वाहन के गुजरने के बाद भी विस्फोट नहीं होता है. कई मामलों में हो चुकी है जांच इसके पहले भी हैदराबाद, कर्नाटक सहित अनेक स्थानों पर हुए विस्फोट में नागपुर की कंपनियों में तैयार विस्फोटकों के इस्तेमाल का खुलासा हो चुका है. इसके साथ गढ़़चिरोली, छत्तीसगढ़़ से कश्मीर तक नागपुर के विस्फोटक जब्त किए गए हैं. इस संबंध में देश की अनेक एजेंसियों ने जांच भी की है. 

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