मनोहर कुंभेजकर
मुंबईः घाटकोपर के कामराजनगर में रहने वाले, गुरु कुल स्कूल में कक्षा चौथी में पढ़ने वाले तथा सेंच्युरी क्लासेस के 10 वर्षीय विद्यार्थी कार्तिक भरत मोरे ने आज जुन्नर की 450 फुट ऊंची वानरलिंगी खड़ी चट्टान पर चढ़कर और एक रिकॉर्ड अपने नाम किया और घाटकोपर के सिरमौर पर और एक नगमा जड़ दिया.
कार्तिक मोरे ने सात वर्ष की आयु में स्वराज्य के कारागृह रहे आकाश से प्रतिस्पर्धा करने वाले लिंगोबा के पहाड़ी किले लिंगाणा की चोटी पर कदम रखे थे. आठ वर्ष की आयु में किले माहुली के रक्षक के रूप में खड़ी वजीर चोटी को फतह किया था. इसके बाद उसे लिंगाणावीर, वजीर का बादशाह जैसे नाम मिले और उसकी पर्वतारोहण के क्षेत्र में अपनी अलग छवि बन गई.
पिता के कदम से कदम मिलाकर कार्तिक ने आज दस वर्ष की आयु में जुन्नर के जीवधन किले के प्रहरी के रूप में अपनी अलग पहचान रखने वाली वानरलिंगी (खड़ी चट्टान) की चोटी पर कदम रखकर चोटियां फतह करने की सूची में एक और हैरतअंगेज करने वाली चट्टान का नाम जोड़ दिया. इस चट्टान पर चढ़ने की अनेक पर्वतारोहियों की हमेशा मंशा रहती है.
कार्तिक ने खड़ी चट्टान की चोटी पर पहुंचने के बाद तिरंगा ध्वज को सलामी दी तथा रिलायंस उद्योग समूह के संस्थापक स्वर्गीय धीरूभाई अंबानी को आदरांजलि अर्पित की. उसके साथ उसके सहयोगी चिराग कदम, समीर भिसे, मयूर वायदंडे व आदेश पाडेकर भी थे.
कार्तिक को यह एक और रिकॉर्ड अपने नाम करने में प्वॉइंट ब्रेक एडवेंचर के दत्ता सालुंके, चेतन शिंदे और उनकी टीम तथा मुरबाड के वेदांत व्यापारी का सहयोग मिला. घाटघर के क्षेत्र में स्थित यह पूर्वमुखी जीवधन किला प्राचीन नाणेघाट के व्यापारी मार्ग की सुरक्षा के लिए बनाया गया था. नाणेघाट से जीवधन किला महज पुकार लगाने की दूरी पर है. जीवधन की तराई पर स्थित गांव घाटघर है. इस आयताकार पहाड़ी के सिरे पर लगभग 450 फुट ऊंची 'वानरलिंगी' खड़ी चट्टान है.