मुंबई हाई कोर्ट ने बोलने की आजादी पर कहा- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को हमेशा साख से ज्यादा ऊंचे स्थान पर रखा जाता है

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 29, 2020 15:27 IST2020-01-29T15:27:23+5:302020-01-29T15:27:23+5:30

इसी महीने, एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि कोई भी व्यक्ति दूसरों के उत्पाद की छवि खराब कर संविधान में प्रदत्त अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का दुरुपयोग नहीं कर सकता। एकल पीठ ने सोशल मीडिया पर सक्रिय लोगों के लिए ऐसी टिप्पणी करते वक्त जिम्मेदारी पर भी टिप्पणी की थी ।

Mumbai High Court said on freedom of speech - freedom of expression is always placed higher than credit | मुंबई हाई कोर्ट ने बोलने की आजादी पर कहा- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को हमेशा साख से ज्यादा ऊंचे स्थान पर रखा जाता है

बोलने की आजादी के पक्ष में हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला

Highlightsखंडपीठ ने कहा कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर के पास दायित्व है। साथ ही, बोलने की स्वतंत्रता को हमेशा साख से अधिक ऊंचे स्थान पर रखा जाता है।मुख्य न्यायाधीश नंदराजोग ने कहा कि मानहानि पर मौजूदा कानून कहता है कि कोई भी तथ्य पर गलत बयान नहीं दे सकता।

बंबई उच्च न्यायालय ने कहा कि बोलने की स्वतंत्रता को हमेशा साख से अधिक ऊंचे स्थान पर रखा जाता है। अदालत ने यूट्यूब पर एक चैनल चलाने वाले अभिजीत भंसाली और मेरिको लिमिटेड को एक वीडियो से संबंधित मुद्दे को सुलझाने को कहा है। दरअसल, भंसाली ने मेरिको के नारियल तेल ब्रांड पैराशूट को लेकर एक आलोचनात्मक वीडियो बनाया था।

यह मामला उसी आलोचनात्मक वीडियो से जुड़ा है। मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने उच्च न्यायालय की एकल पीठ द्वारा पारित आदेश के खिलाफ भंसाली की अपील पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। उन्हें यूट्यूब पर विवादित वीडियो हटाने को कहा गया था जिसमें उन्होंने लोगों से पैराशूट तेल नहीं खरीदने को कहा था।

इसी महीने, एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि कोई भी व्यक्ति दूसरों के उत्पाद की छवि खराब कर संविधान में प्रदत्त अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का दुरुपयोग नहीं कर सकता। एकल पीठ ने सोशल मीडिया पर सक्रिय लोगों के लिए ऐसी टिप्पणी करते वक्त जिम्मेदारी पर भी टिप्पणी की थी ।

बहरहाल, खंडपीठ ने कहा कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर के पास दायित्व है। साथ ही, बोलने की स्वतंत्रता को हमेशा साख से अधिक ऊंचे स्थान पर रखा जाता है। मुख्य न्यायाधीश नंदराजोग ने कहा कि मानहानि पर मौजूदा कानून कहता है कि कोई भी तथ्य पर गलत बयान नहीं दे सकता। इस राय को नहीं माना जा सकता चाहे यह (विचार) कितना ही खराब क्यों ना हो।

उन्होंने कहा कि बोलने की स्वतंत्रता को हमेशा प्रतिष्ठा से अधिक ऊंचे स्थान पर रखा जाता है, भले ही दोनों मौलिक अधिकार हैं । यूट्यूब चैनल ‘बीयर्ड छोकरा’ चलाने वाले भंसाली की अपील स्वीकार करते हुए पीठ ने दोनों पक्षों और उनके वकीलों को चर्चा करने और वीडियो से जुड़ा मुद्दा सुलझाने को कहा। मामले पर आगे पांच फरवरी को सुनवाई होगी तब तक मेरिको वीडियो हटाने के लिए भंसाली के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी ।

पीठ ने कहा कि आधुनिक समाज में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर एक हकीकत है और सर्वेक्षण से दिखता है कि उनके फॉलोअर उनकी समीक्षा से प्रभावित होते हैं । वो जो कहते हैं, अगर समाज उसमें भरोसा जताता है तो भरोसे के साथ दायित्व भी आता है । न्यायमूर्ति नंदराजोग ने कहा कि आज के दिन में इंटरनेट और सोशल मीडिया के साथ दिक्कत ये है कि वहां इतनी सूचनाएं हैं कि लोग गलती से इसे ज्ञान समझ लेते हैं।

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