मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री के माता सीता को लेकर दिए बयान पर विवाद, सोशल मीडिया पर हो रहे ट्रोल, कही थी ये बात
By आजाद खान | Published: December 19, 2022 11:31 AM2022-12-19T11:31:03+5:302022-12-19T12:33:02+5:30
उज्जैन के एक कार्यक्रम में बोलते हुए मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा है कि जिस तरीके से माता सीता धरती में समा गई थी उसे अगर आज की भाषा में कहा जाए तो इसे आत्महत्या कहा जाएगा।
भोपाल: मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने माता सीता पर बयान दिया है जिसे लेकर विवाद शुरू हो गया है। आरोप के अनुसार, विवाद इस बात से शुरू हुआ है कि उच्च शिक्षा मंत्री ने माता सीता के जीवन को एक तलाकशुदा महिला से तुलना की है। यही नहीं उन्होंने माता सीता द्वारा जमीन में समा जाने को आज के युग में आत्महत्या के सामान बताया है।
उच्च शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा है कि सीता माता ने लव-कुश को जंगल में जन्म दिया, इसके बावजूद भी उन्होंने पिता के प्रति श्रद्धा की शिक्षा दी है। मंत्री के इस सब बयान को लेकर विवाद शुरू हो गया है और उन्हें सोशल मीडिया पर लगातार ट्रोल भी किया जा रहा है।
बयान में डॉ मोहन यादव ने क्या कहा है
दरअसल, रविवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन में आयोजित एक कार्यक्रम में डॉ मोहन यादव शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम में वे भगवान श्रीराम और माता सीता के जीवन पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सीता माता ने बच्चों को जंगल में जन्म दिया और कष्ट को सहते हुए भी पति के प्रति कितनी श्रद्धा करती है कि उनके जीवन की मंगल कामना करती थी।
यही नहीं वह बच्चों को जंगल में ही अच्छे संस्कार भी देती थी। इस पर मंत्री ने आगे कहा कि माता सीता की यह हालत आज के तलाकशुदा महिलाओं की तरह थी। इसके अलावा मंत्री ने माता सीता के धरती में समा जाने वाली घटना को भी पेश करते हुए कहा कि पृथ्वी फट गई और माता उसमें समा गई।
राजधर्म के लिए कैसे भगवान राम ने सबकुछ को त्याग दिया था
मंत्री ने भगवान राम को लेकर भी बयान दिया है और कहा है कि कैसे उन्होंने केवल राजधर्म के लिए सबकुछ को त्याग दिया था। उनके अनुसार, भगवान राम ने बहुत कष्ट सहा है और सबकुछ उनके सामने होते हुए भी देखा है। यही नहीं उन्होंने माता सीता को लेकर भगवान राम के बारे में भी बोला है।
उन्होंने कहा है, "अच्छी भाषा में कहा जाए, तो पृथ्वी फट गई, तो माता उसमें समा गई। सरल और सरकारी भाषा में कहा जाए, तो उनकी पत्नी ने उनके सामने शरीर छोड़ा। शरीर त्याग को आत्महत्या के रूप में माना जाता है, लेकिन इतने कष्ट के बावजूद भी भगवान राम ने जीवन कैसे बिताया होगा, जिस सीता के बिना एक क्षण भी कल्पना करना मुश्किल है, उसके बावजूद भी भगवान राम ने राम राज्य के आदर्शें का ख्याल करते हुए अपना जीवन का सुख त्याग दिया।"
ऐसे में मंत्री के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर वे काफी ट्रोल हो रहे है। एक तरफ कुछ यूजर्स उन्हें ट्रोल कर रहे है तो वहीं दूसरी ओर कुछ यूजर्स उनके समर्थन में दिख रहे है।