नई दिल्ली: 200 से अधिक पूर्व लोकसभा सांसदों ने चुनाव हारने के बाद भी अभी तक लुटियंस दिल्ली में अपना आधिकारिक आवास खाली नहीं किया है। ऐसे सांसदों को आवास खाली करने का नोटिस जारी किया गया है। आवास खाली न करने वाले सांसदों से जल्द से जल्द अपने बंगले सरेंडर करने को कहा गया है ताकि नए सदस्यों को आवंटन में तेजी लाई जा सके।
पूर्व सांसदों को पिछली लोकसभा भंग होने के एक महीने के भीतर अपने सरकारी आवास खाली करने होते हैं। लेकिन कुछ माननीय अब भी कब्जा जमाए बैठे हैं। चूंकि समय सीमा का उल्लंघन हुआ है, इसलिए नोटिस जारी किए गए हैं।
यदि पूर्व सांसद खाली करने में विफल रहते हैं, तो निष्कासन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और टीमों को पते पर भेजा जाएगा। लोकसभा हाउस कमेटी सांसदों को आवास आवंटित करती है। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत संपदा निदेशालय मंत्रियों को बंगले आवंटित करता है। बताया कि अभी तक नये मंत्रियों को कोई बंगला आवंटित नहीं किया गया है।
सांसदों और मंत्रियों को बंगलों का आवंटन वरिष्ठता के आधार पर किया जाता है। दिल्ली के लुटियंस जोन में अलग-अलग 17 तरह के सरकारी कोठियां, घर, हॉस्टल, फ्लैट और गेस्ट हाउस हैं। सेंट्रल दिल्ली के नॉर्थ एवेन्यू, साउथ एवेन्यू, विश्वंभर दास मार्ग, मीना बाग, बाबा खड़ग सिंह मार्ग, तिलक लेन और विट्ठल भाई पटेल हाउस में सरकारी आवास हैं, जो कैबिनेट, राज्य मंत्रियों और सांसदों को आवंटित किए जाते हैं।
कुल आवासों की संख्या 3,959 बताई जाती है, जिनमें से लोकसभा सदस्यों के लिए कुल 517 आवास उपलब्ध हैं, जिनमें से 159 बंगले हैं। इनके अलावा 37 ट्विन फ्लैट हैं। 193 सिंगल फ्लैट, बहुमंजिला इमारतों में 96 फ्लैट और सिंगल रेगुलर हाउस 32 हैं।
किसी सांसद को अगर आवास नहीं मिल पाता और वह दिल्ली में होटल में रहता है, तो उसका किराया भी सरकार ही देती है। इसके अलावा इन सभी बंगलों और आवासों में सांसदों को मुफ्त बिजली और पानी सरकारी ओर से मुहैया कराया जाता है।