दुनियाभर में 10 करोड़ से अधिक लोग विस्थापित हुए, UN शरणार्थी संस्था ने कहा- हिंसा, उत्पीड़न और मानवाधिकार उल्लंघन जिम्मेदार

By विशाल कुमार | Published: May 23, 2022 08:54 AM2022-05-23T08:54:42+5:302022-05-23T08:59:49+5:30

यूक्रेन में युद्ध के कारण लाखों लोगों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा जबकि इथियोपिया और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो जैसी जगहों पर लंबे समय से जारी संघर्षों के कारण लोगों ने अपना घर छोड़ दिया।

more-than-100-million-people-forcibly-displaced-worldwide-un | दुनियाभर में 10 करोड़ से अधिक लोग विस्थापित हुए, UN शरणार्थी संस्था ने कहा- हिंसा, उत्पीड़न और मानवाधिकार उल्लंघन जिम्मेदार

(फोटो: UN)

HighlightsUNHCR उच्चायुक्त ने कहा कि यह एक ऐसा रिकॉर्ड है जिसे कभी भी बनाया नहीं किया जाना चाहिए था।यूएनएचसीआर डेटा में शरणार्थी, शरण चाहने वाले और अपने ही देशों में विस्थापित लोग शामिल हैं।UNHCR उच्चायुक्त ने कहा कि इसका एकमात्र समाधान शांति और स्थिरता है।

जिनेवा: संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) ने सोमवार को हिंसा, संघर्ष, उत्पीड़न और मानवाधिकारों के उल्लंघन से बचने वालों के बारे में नए आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि दुनियाभर में 10 करोड़ से अधिक लोगों को बेघर कर दिया गया है।

यूएनएचसीआर ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध के कारण लाखों लोगों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा जबकि इथियोपिया और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो जैसी जगहों पर लंबे समय से जारी संघर्षों के कारण लोगों ने अपना घर छोड़ दिया।

शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त फिलिपो ग्रांडी ने एक बयान में कहा कि यह एक ऐसा रिकॉर्ड है जिसे कभी भी बनाया नहीं किया जाना चाहिए था।

उन्होंने कहा कि विनाशकारी संघर्षों का समाधान करने, उन्हें रोकने, उत्पीड़न को समाप्त करने और निर्दोष लोगों को अपने घरों से भागने के लिए मजबूर करने वाले इन कारणों को खत्म करने की दिशा में प्रयास की आवश्यकता है।

यूएनएचसीआर डेटा में शरणार्थी, शरण चाहने वाले और अपने ही देशों में विस्थापित लोग शामिल हैं। पिछले हफ्ते, एक मानवीय संस्था ने कहा कि अपने ही देशों में विस्थापित हुए लोगों की संख्या पिछले साल के अंत तक रिकॉर्ड करीब 6 करोड़ पहुंच गई थी।

ग्रांडी ने कहा कि इसका एकमात्र समाधान शांति और स्थिरता है ताकि निर्दोष लोगों को अपना घर छोड़कर विस्थापन और निर्वासन जैसी समस्याओं का सामना न करना पड़े।

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