Mohan Yadav: एबीवीपी और संघ में संभाली जिम्मेदारी, 2013 में बने पहलीबार विधायक, मोहन यादव के सियासी करियर पर एक नजर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 11, 2023 06:34 PM2023-12-11T18:34:16+5:302023-12-11T18:41:54+5:30
एमपी के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने काफी संघर्ष के बाद राजनीति में अपनी जगह बनाई छात्र राजनीति से करियर की शुरुआत करने वाले मोहन यादव बीजेपी के स्थापित नेताओं में से एक हैं।
भोपाल: मोहन यादव मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे। वह उज्जैन दक्षिण सीट से विधायक हैं। सोमवार को उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया। भाजपा ने एक बार फिर 58 वर्षीय ओबीसी चेहरे पर दांव लगाया है। एमपी के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने काफी संघर्ष के बाद राजनीति में अपनी जगह बनाई छात्र राजनीति से करियर की शुरुआत करने वाले मोहन यादव बीजेपी के स्थापित नेताओं में से एक हैं। उज्जैन संभाग के बड़े नेताओं में उनकी गिनती होती है।
संघ के करीब और क्षेत्र में पकड़ के साथ साथ सीनियर नेताओं से बेहतर तालमेल होने के कारण केंद्रीय नेतृत्व ने मोहन यादव पर भरोसा जताया है। ओबीसी चेहरा और साफ छवि होने का पूरा फायदा मोहन यादव को मिला और वे प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बने है। आइए डालते हैं उनके सियासी करियर पर एक नजर...
छात्र राजनीति में रहे सक्रिय
मोहन यादव का जन्म उज्जैन में 25 मार्च 1965 में हुआ था। उन्होंने माधव विज्ञान महाविद्यालय से छात्र राजनीति की शुरुआत की थी और 1982 में वे माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के सह-सचिव
1984 में माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे हैं।
विद्यार्थी परिषद के पदाधिकारी
1984 मे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उज्जैन के नगर मंत्री बने। 1986 मे विभाग प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली और फिर 1988 में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मध्य प्रदेश के प्रदेश सहमंत्री और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में निभाई जिम्मेदारी
सन 1991-92 में परिषद के राष्ट्रीय मंत्री रह चुके हैं। 1993-95 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, उज्जैन नगर के सह खंड कार्यवाह, सायं भाग नगर कार्यवाह और 1996 में खण्ड कार्यवाह और नगर कार्यवाह रहे हैं। संघ में सक्रियता की वजह से मोहन यादव 1997 में भाजयुमो प्रदेश समिति में अपनी जगह बनाई।
2013 में बने पहलीबार विधायक
यादव 1998 में पश्चिम रेलवे बोर्ड की सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे। इसके बाद 2004-2010 के बीच वह उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे। पहली बार 2013 में विधायक बने और 2018 में भी पार्टी ने उनपर भरोसा किया और वह चुनाव जीतने में सफल रहे। 2020 में जब बीजेपी की सरकार बनी तो मोहन यादव मंत्री बने।