मोदी राज में रक्षा मंत्रालय के अफसरों ने लिया 17.55 करोड़ घूस? यूक्रेन का एंटी-करप्शन ब्यूरो कर रहा है जाँच

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: May 31, 2018 02:07 PM2018-05-31T14:07:18+5:302018-05-31T14:30:16+5:30

रिपोर्ट के अनुसार इस साल 13 फ़रवरी को यूक्रेन के नेशनल एंटी-करप्शन ब्यूरो (एनएबी) ने भारत के गृह मंत्रालय को कीव स्थित भारतीय दूतावास के माध्यम से "अंतरराष्ट्रीय कानून मदद" के लिए अनुरोध भेजा।

modi government mod officers took 17 crore bribe alleged ukraine anti corruption bureau | मोदी राज में रक्षा मंत्रालय के अफसरों ने लिया 17.55 करोड़ घूस? यूक्रेन का एंटी-करप्शन ब्यूरो कर रहा है जाँच

मोदी राज में रक्षा मंत्रालय के अफसरों ने लिया 17.55 करोड़ घूस? यूक्रेन का एंटी-करप्शन ब्यूरो कर रहा है जाँच

यूक्रेन सरकार मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट An-32 के कलपुर्जों की खरीद में  भारत के रक्षा मंत्रालय के अफसरों को 26 लाख डॉलर (करीब 17.55 करोड़ रुपये) घूस के तौर पर दिए जाने के आरोपों की जाँच करा रही है। यूक्रेन के एंटी-करप्शन ब्यूरो मामले की जाँच कर रहा है। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित इस रिपोर्ट को ट्वीट करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने की माँग की है। राहुल गाँधी ने ट्वीट किया, "रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों पर An-32 डील में यूक्रेन सरकार से वाया दुबई करोड़ों घूस लेने का आरोप है। मोदीजी, स्वघोषित चौकीदार होने के नाते, मैं आपसे अपील करता हूँ आप भ्रष्ट मोदी अफसरों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई कीजिए।" 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इस साल 13 फ़रवरी को यूक्रेन के नेशनल एंटी-करप्शन ब्यूरो (एनएबी) ने भारत के गृह मंत्रालय को कीव स्थित भारतीय दूतावास के माध्यम से "अंतरराष्ट्रीय कानून मदद" के लिए अनुरोध भेजा। यूक्रेन के एंटी-करप्शन ब्यूरो ने भारत के गृह मंत्रालय से माँग की है कि वो रक्षा मंत्रालय के उन अफसरों की पहचान करें जो An-32 डील से जुड़े रहे हैं। यूक्रेन के एनएबी ने उन सभी अफसरों के बारे में जानकारी माँगी है जिन्होंने सौदे के लिए बातचीत की, उसपर अंतिम मंजूरी के दस्तखत किए और सौदे को अमीलाजामा पहनाया।

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यूक्रेन के नेशनल एंटी-करप्शन ब्यूरो (एनएबी) के दस्तावेज इंडियन एक्सप्रेस के पास मौजूद हैं जिनके अनुसार यूक्रेन की सरकारी हथियार निर्माता कंपनी Spetstechnoexport ने भारत के रक्षा मंत्रालय (वायु सेना मुख्यालय) के साथ 26 नवंबर 2014 को समझौता किया। इस समझौते के तहत Spetstechnoexport को भारत की हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट An-32 के कुलपुर्जे देने थे।  भारत की सरकारी एयरोनॉटिक्स कंपनी से समझौते के बाद Spetstechnoexport ने सौदे को लागू करने के लिए 13 अगस्त 2015 को एक कम ज्ञात कंपनी Global Marketing SP Ltd से समझौता किया।

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रिपोर्ट के अनुसार  Spetstechnoexport ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) स्थित Global Marketing SP Ltd के खाते में करीब 17.5 करोड़ रुपये जमा करवाए, जबकि सौदे को असल में अमल नहीं लाया गया। यूक्रेन के नेशनल एंटी-करप्शन ब्यूरो (एनएबी) के अनुसार नवंबर 2014 में भारत और यूक्रेन के बीच समझौता हो चुका था इसलिए इस दूसरे समझौते की कोई जरूरत नहीं थी। यूक्रेन के नेशनल एंटी-करप्शन ब्यूरो (एनएबी) के अनुसार भारतीय रक्षा मंत्रालय के अफसरों को 13 अगस्त 2015 को हुए दूसरे समझौते की "शायद जानकारी हो।"



 

यूक्रेन के नेशनल एंटी-करप्शन ब्यूरो (एनएबी) ने दुबई स्थित नूर इस्लामिक बैंक से भी  Global Marketing SP Ltd द्वारा अगस्त 2015 से जनवरी 2018 के बीच किए गये वित्तीय लेनदेन के बारे में जानकारी माँगी है। यूक्रेन के नेशनल एंटी-करप्शन ब्यूरो (एनएबी) ने दुबई के बैंक से वो इंटरनेट आईपी एड्रेस भी माँगा है जिससे  Global Marketing SP Ltd के खातों में इंटरनेट बैंकिंग की जाती रही है। इंडियन एक्सप्रेस ने इस मामले में  यूक्रेन के नेशनल एंटी-करप्शन ब्यूरो (एनएबी) और भारत के रक्षा मंत्रालय से जानकारी माँगी लेकिन कोई जवाब नहीं मिला सका।

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यूक्रेन की राजधानी कीव की स्थानीय अदालत ने दिसम्बर 2017 में यूक्रेन के नेशनल एंटी-करप्शन ब्यूरो (एनएबी) को इस मामले में प्राथमिक जाँच करने की इजाजत दी थी।  यूक्रेनी की अदालत ने Global Marketing SP Ltd की अन्य संदिग्थ गतिविधियों और इसके लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करने का आदेश दिया है। सोवियत रूस के जमाने का An-32 एयरक्राफ्ट भारतीय वायुसेना का मालवाहक एयरक्राफ्ट है। इस एयरक्राफ्ट से भारतीय सेना देश के पूर्वोत्तर और उत्तरी सीमा पर सैनिक और रसद पहुँचाती रही है। आपदा और राहत बचाव इत्यादि के कार्यों में भी भारतीय वायु सेना An-32 एयरक्राफ्ट का उपयोग करती रही है। 

नरेंद्र मोदी सरकार, गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय की तरफ से अभी तक कोई बयान नहीं आया है। 

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