लाइव न्यूज़ :

मोदी सरकार ने चुनाव आयुक्त अशोक लवासा को पद छोड़ने के लिए कहा, शुरू होगी जांच

By हरीश गुप्ता | Updated: September 25, 2019 08:18 IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा प्रमुख अमित शाह के खिलाफ आदर्श आचार संहिता उल्लंघन मामले में अशोक लवासा के विचार चुनाव आयोग के उनके अन्य सहयोगियों से अलग थे.

Open in App
ठळक मुद्देसरकार यह जानना चाहती है कि कंपनियों ने एसबीआई की सेवानिवृत्त अधिकारी और चित्रकार के रूप में जाने जानी वाली नोवेल लवासा में क्यों दिलचस्पी दिखाई. लवासा को उनकी सेवाओं के पुरस्कार के रूप में जनवरी 2018 को चुनाव आयुक्त बनाया गया था

मोदी सरकार ने विवादास्पद चुनाव आयुक्त अशोक लवासा को यह संवैधानिक पद छोड़ने के लिए कहा है. सरकार में उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार उनकी पत्नी नोवेल लवासा की 10 बड़ी कंपनियों के बोर्ड में स्वतंत्र निदेशक के रूप में नियुक्ति के संबंध में मीडिया रिपोर्ट सामने आने के बाद सरकार इस मामले की जांच करना चाहती है. वह इन कंपनियों के बोर्ड में तब शामिल हुई थीं जब लवासा सरकार में संवेदनशील पदों पर थे.

दिलचस्प बात यह है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने उन्हें पद देकर पुरस्कृत किया था. लवासा को अगस्त 2014 में ऊर्जा सचिव, उसके बाद पर्यावरण सचिव और फिर 2016 में वित्त सचिव बनाया गया था. अक्तूबर 2017 में सेवानिवृत्ति के बाद लवासा को उनकी सेवाओं के पुरस्कार के रूप में जनवरी 2018 को चुनाव आयुक्त बनाया गया.

सरकार के साथ तालमेल बेहतर रहता, तो वह अप्रैल 2021 में मुख्य चुनाव आयुक्त बन जाते. अब समय बदल गया है और सरकार चाहती है कि वह इस्तीफा दे दें. इस साल लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आचार संहिता के क्रियान्वयन पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा और चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा के साथ लवासा के मतभेद की खबरें मीडिया में आई थीं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा प्रमुख अमित शाह के खिलाफ आदर्श आचार संहिता उल्लंघन मामले में उनके विचार चुनाव आयोग के उनके अन्य सहयोगियों से अलग थे. हालांकि बाद में उन्होंने सफाई दी थी, ''मैं चाहता हूं कि पारदर्शी और गैर-भेदभावपूर्ण तरीके से आचार संहिता उल्लंघन के मामलों के निपटारे के लिए एक प्रणाली हो.''

लवासा ने लोकसभा चुनाव संबंधी महत्वपूर्ण बैठकों में जाना छोड़ दिया था. लोकसभा चुनाव में भाजपा की बड़ी जीत के बाद लवासा हाशिये पर चले गए. अब लगता है कि नाराज सरकार ने उनके आचरण पर गौर करने का निर्णय लिया है जब वह आईएसएस अधिकारी के रूप में अहम पद संभाल रहे थे. यह पता चला कि उनकी पत्नी नोवेल लवासा उसी दौरान कुछ कंपनियों की चहेती बन गईं और उन्हें स्वतंत्र निदेशक के रूप में शामिल किया गया, जबकि अगस्त 2014 से पहले उनके पास कुछ भी नहीं था.

एसबीआई की सेवानिवृत्त अधिकारी में दिलचस्पी क्यों?

सरकार का मानना है कि यह हितों के टकराव का स्पष्ट मामला है और इसकी विस्तृत जांच जरूरी है. सरकार यह जानना चाहती है कि इन कंपनियों ने एसबीआई की सेवानिवृत्त अधिकारी और चित्रकार के रूप में जाने जानी वाली नोवेल लवासा में क्यों दिलचस्पी दिखाई. चूंकि संवैधानिक प्राधिकारी के खिलाफ कोई जांच नहीं की जा सकती, इसलिए उन्हें इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए पद छोड़ देने के लिए कहा गया है. लवासा और सरकार की कहानी में अंतिम शब्द लिखा जाना बाकी है.

टॅग्स :चुनाव आयोगमोदी सरकार
Open in App

संबंधित खबरें

भारतIndiGo Crisis: इंडिगो के उड़ानों के रद्द होने पर राहुल गांधी ने किया रिएक्ट, बोले- "सरकार के एकाधिकार मॉडल का नतीजा"

भारतSIR Update 2025: वोटर लिस्ट में कैसे चेक करें अपना E-EPIC नंबर और नाम, इन स्टेप्स को करें फॉलो

भारत'अमित शाह ने बंगाल में राष्ट्रपति शासन का आधार तैयार करने के लिए SIR का इस्तेमाल किया', ममता बनर्जी ने लगाया आरोप

भारतUP: बूथ पर बैठकर मंत्री और विधायक SIR का फार्म भरवाए, सीएम योगी ने दिए निर्देश, राज्य में 15.44 करोड़ मतदाता, पर अभी तक 60% से कम ने फार्म भरे गए

भारतसंचार साथी ऐप में क्या है खासियत, जिसे हर फोन में डाउनलोड कराना चाहती है सरकार? जानें

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत