देव दीपावली पर काशी की मनोरम छटा के साक्षी बने मोदी

By भाषा | Published: November 30, 2020 09:18 PM2020-11-30T21:18:56+5:302020-11-30T21:18:56+5:30

Modi becomes witness to Kashi's captivating attitude on Dev Diwali | देव दीपावली पर काशी की मनोरम छटा के साक्षी बने मोदी

देव दीपावली पर काशी की मनोरम छटा के साक्षी बने मोदी

वाराणसी, 30 नवम्बर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी की एक दिवसीय यात्रा के दौरान अनेक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और पहली बार 'देव दीपावली' के अवसर पर उपस्थित होकर काशी की मनोरम छटा के साक्षी बने।

मोदी ने देव दीपावली के आयोजन में शिरकत पर खुशी जाहिर करते हुए कहा ''आज जब काशी की विरासत वापस लौट रही है तो ऐसा लग रहा है जैसे काशी, माता अन्नपूर्णा के आगमन की खबर सुनकर सजी—संवरी हो। लाखों दीपों से काशी के 84 घाटों का जगमग होना अद्भुत है। गंगा की लहरों में यह प्रकाश इस आभा को और भी अलौकिक बना रहा है।''

उन्होंने कहा ''आज हम जिस देव दीपावली के दर्शन कर रहे हैं इसकी प्रेरणा पहले पंचगंगा घाट पर स्वयं आदि शंकराचार्य जी ने दी थी। बाद में अहिल्याबाई होल्कर जी ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। कहते हैं कि जब त्रिपुरासुर नामक दैत्य ने पूरे संसार को आतंकित कर दिया था तब भगवान शिव ने कार्तिकी पूर्णिमा के दिन उसका अंत किया था। आतंक, अत्याचार और अंधकार के उस अंत पर देवताओं ने महादेव की नगरी में आकर दीये जलाकर दिवाली मनाई थी। देवों की वह दीपावली ही देव दीपावली है।''

प्रधानमंत्री ने गुरु परब पर गुरुनानक देव को भी याद करते हुए कहा ''गुरु नानक देव जी ने तो अपना पूरा जीवन ही गरीब, शोषित और वंचितों की सेवा में समर्पित किया था। काशी का तो गुरु नानक देव जी से भी संबंध रहा है। उन्होंने एक लंबा समय काशी में व्यतीत किया था। काशी का गुरूबाग गुरुद्वारा तो उस ऐतिहासिक पल का साथी है जब गुरु नानक जी यहां पधारे थे और काशी वासियों को नई राह दिखाई थी।''

मोदी ने कहा ''आज बाबा की कृपा से काशी का गौरव पुनर्जीवित हो रहा है। सदियों पहले बाबा के दरबार का मां गंगा तक जो सीधा संबंध था वह फिर से स्थापित हो रहा है। नेक नीयत से जब अच्छे कर्म किए जाते हैं तो विरोध के बावजूद उनकी सिद्धि होती ही है। अयोध्या में श्री राम मंदिर से बड़ा इसका दूसरा उदाहरण और क्या होगा। दशकों से इस पवित्र काम को लटकाने और भटकाने के लिए क्या कुछ नहीं किया गया, कैसे-कैसे डर पैदा करने के प्रयास किए गए लेकिन जब राम जी ने चाहा लिया तो मंदिर बन रहा है।’’

उन्होंने कहा कि काशी आज जिस तरह विकास पथ पर अग्रसर है उससे आज पूरी दुनिया का पर्यटक इस क्षेत्र की ओर देख रहा है। बनारस में काशी विश्वनाथ क्षेत्र के साथ-साथ दूसरे मंदिर और परिक्रमा पथ को भी सुधारा जा रहा है। घाटों की तस्वीर जिस तेजी से बदल रही है उसने बनारस को फिर से अलौकिक आभा दी है। यही तो प्राचीन काशी का आधुनिक सनातन अवतार है। यही तो बनारस का सदा बना रहने वाला रस है।

मोदी ने भगवान बुद्ध का भी जिक्र करते हुए कहा ''भगवान बुद्ध के करुणा, दया और अहिंसा के संदेश साकार होंगे। यह संदेश आज और भी प्रासंगिक होते जा रहे हैं जब दुनिया हिंसा अशांति और आतंक के खतरे से चिंतित है।''

इसके पूर्व, कोविड—19 महामारी के बीच पहली बार काशी आये प्रधानमंत्री ने खजूरी गांव में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-दो के हण्डिया-राजा तालाब खण्ड का छह-लेन चौड़ीकरण कार्य को राष्ट्र को समर्पित किया।

हण्डिया-राजा तालाब मार्ग का चौड़ीकरण एक बेहद महत्वपूर्ण परियोजना है, जो दो प्राचीनतम एवं पवित्र नगरों-प्रयाग (प्रयागराज) तथा काशी (वाराणसी) को आपस में जोड़ती है। यह राजमार्ग स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना-एक (दिल्ली-कोलकाता कारिडोर) का भी प्रमुख भाग है।

पूर्व में, प्रयागराज से वाराणसी के बीच यात्रा में लगभग साढ़े तीन घण्टे का समय लगता था। इस परियोजना के पूरी होने के बाद यह दूरी मात्र डेढ़ घण्टे में पूरी की जा सकेगी।

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक गत दो नवम्बर को पूरी हुई कुल 72.644 किलोमीटर की इस परियोजना की लागत 2,447 करोड़ रुपए है।

प्रधानमंत्री अपने एक दिवसीय काशी दौरे पर कई अन्य कार्यक्रमों में भी शरीक हुए।

मोदी विशेष क्रूज के जरिये डुमरी घाट से ललिता घाट गये। उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा—अर्चना की और काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर परियोजना की कार्यप्रगति का मुआयना भी किया। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनके साथ थे।

उसके बाद प्रधानमंत्री राजघाट पहुंचे और दीया जलाकर बनारस की विश्वप्रसिद्ध देव दीपावली का शुभारंभ किया। साथ ही 'पावन पथ वाराणसी.इन' वेब पोर्टल की शुरुआत भी की।

कार्तिक पूर्णिमा को मनायी जाने वाली इस देव दीपावली पर गंगा के दोनों किनारों पर 11 लाख दीप जलाये गये। उसके बाद प्रधानमंत्री ने संत रविदास की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किये। बाद में उन्होंने बौद्ध तीर्थस्थल सारनाथ जाकर लाइट एण्ड साउंड शो में हिस्सा लिया।

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