RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, मॉब लिंचिंग में शामिल नहीं होते हैं स्वयंसेवक, बल्कि इसे रोकने की करते हैं कोशिश
By रामदीप मिश्रा | Published: October 8, 2019 10:42 AM2019-10-08T10:42:07+5:302019-10-08T10:42:07+5:30
स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए मॉब लिंचिंग को लेकर मोहन भागवत ने कहा कि सामाजिक हिंसा की कुछ घटनाओं को भड़काने के रूप में ब्रांडिंग की जाती है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) आज अपने स्थापना दिवस के दिन नागपुर में विजयादशमी उत्सव मना रहा है। इस दौरान कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एचसीएल के अध्यक्ष शिव नाडर हैं। वहीं, कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस समेत कई दिग्गज नेता पहुंचे हैं। बता दें, आज के ही दिन साल 1925 में संघ की स्थापना हुई थी।
स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए मॉब लिंचिंग को लेकर मोहन भागवत ने कहा कि सामाजिक हिंसा की कुछ घटनाओं को भड़काने के रूप में ब्रांडिंग की जाती है। वास्तव में हमारे देश, हिंदू समाज को बदनाम करने और कुछ समुदायों में भय पैदा करने के लिए यह सब किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं में आरएसएस के सदस्य शामिल नहीं होते, बल्कि वे इसे रोकने की कोशिश करते हैं। पर इन सबको तरह-तरह से पेश करके, उसे जिहाद बनाने का काम चल रहा है, ये सबको समझना चाहिए।
RSS Chief Mohan Bhagwat in Nagpur: In such incidents, RSS members do not get involved rather they try to stop it. Par iss sabko ko tarah tarah se pesh karke, use jhagda banane ka kaam chal raha hai. Ek shadyantra chal raha hai, yeh sabko samajhna chaiye. #Maharashtrahttps://t.co/TBuKHRxr2n
— ANI (@ANI) October 8, 2019
इससे अलावा भागवत ने कहा कि कितना भी मतभेद हो, कानून और संविधान की मर्यादा के अंदर ही न्याय व्यवस्था में चलना पड़ेगा। कुछ बातों का निर्णय न्यायालय से ही होना पड़ता है। निर्णय कुछ भी हो आपस के सद्भाव को किसी भी बात से ठेस ना पहुंचे ऐसी वाणी और कृति सभी जिम्मेदार नागरिकों की होनी चाहिए। यह जिम्मेवारी किसी एक समूह की नहीं है। यह सभी की जिम्मेवारी है। सभी ने उसका पालन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि गत कुछ वर्षों में एक परिवर्तन भारत की सोच में आया है। उसको न चाहने वाले व्यक्ति दुनिया में भी हैं और भारत में भी। भारत को बढ़ता हुआ देखना जिनके स्वार्थों के लिए भय पैदा करता है, ऐसी शक्तियां भी भारत को दृढ़ता व शक्ति से संपन्न होने नहीं देना चाहती। समाज के विभिन्न वर्गों को आपस में सद्भावना, संवाद और सहयोग बढ़ाने के प्रयास में प्रयासरत होना चाहिए। समाज के सभी वर्गों का सद्भाव, समरसता व सहयोग तथा कानून संविधान की मर्यादा में ही अपने मतों की अभिव्यक्ति यह आज की स्थिति में नितांत आवश्यक बात है।