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‘मिशन कर्मयोगी’ का लक्ष्य सिविल सेवाओं को भविष्य की दृष्टि प्रदान करना है: जितेंद्र सिंह

By भाषा | Updated: December 23, 2021 18:24 IST

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नयी दिल्ली, 23 दिसंबर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘मिशन कर्मयोगी’ का लक्ष्य सिविल सेवाओं को भविष्य की दृष्टि प्रदान करना है जो अगले 25 सालों का रोडमैप प्रभावी रूप से निर्धारित कर सकती है।

उन्होंने कहा कि सामान्य समझ वाले व्यक्तियों का युग बीत गया है क्योंकि हम उत्कृष्ट कोटि की विशेषज्ञता के दौर में कदम रख रहे हैं।

कार्मिक राज्यमंत्री सिंह ने कहा कि ‘उद्देश्य योग्य’ और ‘भविष्य योग्य’ सिविल सेवा के लिए प्रतिस्पर्धा आधारित क्षमता निर्माण पहल की जरूरत है जिसमें अपनी भूमिका के निर्वहन के लिए अहम प्रतिस्पर्धात्मकता विकसित करने पर बल दिया जाता है तथा मिशन कर्मचारी का यही मुख्य ध्येय है।

सुशासन सप्ताह के तहत आयोजित ‘मिशन कर्मयोगी- आगे का मार्ग’ विषयक कार्यशाला को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि शासन में ‘शासन करने’ से ‘भूमिका निभाने’ की ओर बदलाव की नितांत जरूरत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नये भारत के लक्ष्य को हासिल करने तथा उसकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए है।

राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता निर्माण कार्यक्रम , जो मिशन कर्मयोगी के नाम से जाना जाता है, का लक्ष्य सिविल सेवा क्षमता निर्माण के माध्यम से शासन में वृद्धि करना है।

एकीकरण के विषय पर प्रकाश डालते हुए सिंह ने कहा कि भारतीय लोक प्रशासन संस्थान ने मिशन कर्मयोगी इकाई की स्थापना की है तथा वह राष्ट्रीय क्षमता निर्माण आयोग , लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी एवं अन्य केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर काम कर रहा है।

प्रधानमंत्री द्वारा सिविल सेवकों से किये गये ‘रचनात्मक एवं सृजनात्मक बनने, कल्पनाशील एवं नवोन्मेषी बनने, सक्रिय एवं नम्र बनने, पेशेवर एवं प्रगतिशील बनने, ऊर्जाशील एवम् समर्थकारी बनने, कुशल एवं प्रभावी बनने, पारदर्शी एवं प्रौद्योगिकी कुशल बनने’ के आह्वान का हवाला देते हुए कार्मिक राज्यमंत्री ने कहा कि इस दिशादृष्टि को हासिल करने के लिए यह जरूरी है कि देशभर में सिविल सेवकों के पास दृष्टिकोण, कौशल एवं ज्ञान का सही समुच्च्य हो।

उन्होंने आशा जतायी कि मिशन कर्मयोगी प्रदाय प्रणाली को लगातार बढ़ाने में अहम रूप से समर्थकारी होगा और कालांतर में वह प्रधानंमत्री द्वारा निर्धारित पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था के सपने को साकार करने में सहयोग दे पाएगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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