Menstrual leave: महिला कर्मचारियों के लिए मासिक धर्म अवकाश पर मॉडल नीति तैयार करे केंद्र, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राज्यों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श कीजिए और सोचिए...

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 8, 2024 14:23 IST2024-07-08T14:21:38+5:302024-07-08T14:23:10+5:30

Menstrual leave: महिलाओं को ऐसी छुट्टी देने के संबंध में अदालत का निर्णय प्रतिकूल और ‘हानिकारक’ साबित हो सकता है, क्योंकि नियोक्ता उन्हें काम पर रखने से परहेज कर सकते हैं।

Menstrual leave Center prepare model policy menstrual leave women employees Supreme Court said Consult states and other stakeholders think | Menstrual leave: महिला कर्मचारियों के लिए मासिक धर्म अवकाश पर मॉडल नीति तैयार करे केंद्र, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राज्यों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श कीजिए और सोचिए...

सांकेतिक फोटो

Highlightsमहिलाओं को कार्यबल का हिस्सा बनने के लिए कैसे प्रोत्साहित करेगी। यह वास्तव में एक सरकारी नीतिगत मुद्दा है अदालतों के विचार करने के लिए नहीं है।याचिकाकर्ता का कहना है कि मई 2023 में केंद्र को एक अभ्यावेदन सौंपा गया था।

Menstrual leave: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह राज्यों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श कर महिला कर्मचारियों के लिए मासिक धर्म अवकाश पर एक मॉडल नीति तैयार करे। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि यह मुद्दा नीति से संबंधित है और अदालतों के विचार करने के लिए नहीं है। पीठ ने कहा कि इसके अलावा, महिलाओं को ऐसी छुट्टी देने के संबंध में अदालत का निर्णय प्रतिकूल और ‘हानिकारक’ साबित हो सकता है, क्योंकि नियोक्ता उन्हें काम पर रखने से परहेज कर सकते हैं।

पीठ ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि इस तरह की छुट्टी अधिक महिलाओं को कार्यबल का हिस्सा बनने के लिए कैसे प्रोत्साहित करेगी। उसने कहा कि इस तरह की छुट्टी अनिवार्य करने से महिलाएं “कार्यबल से दूर हो जाएंगी।...हम ऐसा नहीं चाहते।” पीठ ने कहा, “यह वास्तव में एक सरकारी नीतिगत मुद्दा है अदालतों के विचार करने के लिए नहीं है।”

उसने कहा, “याचिकाकर्ता का कहना है कि मई 2023 में केंद्र को एक अभ्यावेदन सौंपा गया था। चूंकि, मुद्दा सरकारी नीति के विविध उद्देश्यों को उठाता है, इसलिए इस अदालत के पास हमारे पिछले आदेश के आलोक में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है।” हालांकि, पीठ ने याचिकाकर्ता और वकील शैलेंद्र त्रिपाठी की तरफ से पेश वकील राकेश खन्ना को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव तथा अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी के पास जाने की अनुमति दे दी।

पीठ ने निर्देश दिया, “हम सचिव से अनुरोध करते हैं कि वह इस मामले पर नीतिगत स्तर पर विचार करें और सभी हितधारकों से परामर्श करने के बाद निर्णय लें तथा देखें कि क्या एक मॉडल नीति बनाई जा सकती है।” शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि अगर राज्य इस संबंध में कोई कदम उठाते हैं, तो केंद्र की परामर्श प्रक्रिया उनके रास्ते में नहीं आएगी।

न्यायालय ने इससे पहले देशभर में छात्राओं और कामकाजी महिलाओं को मासिक धर्म अवकाश देने का अनुरोध करने वाली याचिका का निपटारा कर दिया था। शीर्ष अदालत ने तब कहा था कि चूंकि, यह मुद्दा नीतिगत है, इसलिए केंद्र को एक अभ्यावेदन सौंपा जा सकता है। वरिष्ठ वकील ने कहा कि अभी तक केंद्र की ओर से कोई फैसला नहीं लिया गया है।

Web Title: Menstrual leave Center prepare model policy menstrual leave women employees Supreme Court said Consult states and other stakeholders think

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