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#MeToo के मामलों में 'विशाखा' है सबसे बड़ा हथियार, जानिए क्या है इसके नियम और कैसे करें इसका इस्तेमाल

By पल्लवी कुमारी | Updated: October 12, 2018 15:35 IST

#MeToo कैंपेन के विभिन्न क्षेत्रों की कामकाजी महिलाओं अपने सहकर्मियों और सीनियर द्वारा यौन शोषण और उत्पीड़न की शिकायतें सार्वजनिक की हैं। इनमें से कई महिलाओं को न्याय नहीं मिला। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हर कार्यालय में यौन शोषण पर रोकथाम के लिए विशाखा गाइडलाइंस के तहत नियम बना रखे हैं। वैसे यह कानून जेंडर न्यूट्रल है लेकिन महिलाओं को इसके बारे में जरूर जानना चाहिए।

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नई दिल्ली, 09 अक्टूबर: सुप्रीम कोर्ट ने ऑफिस में हो रहे सेक्सुअल हैरेसमेंट के खिलाफ महिलाओं के पक्ष में 1997 को एक कानून बनाया था, जिसका नाम ''विशाखा गाइडलाइन्स'' है। ''विशाखा गाइडलाइन्स'' के नियमों और कानूनों का पालन करने और स्थिति को तेजी से जवाब देने की आवश्यकता की अब काफी जरूरत है।  हालांकि अभी भी देश के कई दफ्तरों में  ''विशाखा गाइडलाइन्स'' के नियमों का पालन नहीं होता है। अभिनेत्री तनुश्री दत्ता द्वारा पिछले महीने में अभिनेता नाना पाटेकर पर यौन शोषण का आरोप लगाये जाने के बाद विभिन्न क्षेत्रों की दर्जनों महिलाओं ने अपने संग हुए यौन शोषण की बात सार्वजनिक की है। ऐसे में कामकाजी जगहों, दफ्तरों, कार्यालयों में काम करने वाली महिलाओं के लिए ''विशाखा गाइडलाइन्स'' के बारे में जानना बेहद जरूरी है। आइए हम आपको बताते हैं कि क्या ''विशाखा गाइडलाइन्स''और इसके तहत किस तरह के मामलों में कैसे शिकायत की जा सकती है। हम आपको यह भी बताएंगे कि अगर ''विशाखा गाइडलाइन्स'' के तहत न्याय मिलने पर पीड़िता क्या क़दम उठा सकती है। 

क्या है ''विशाखा गाइडलाइन्स'' 

सुप्रीम कोर्ट ने 1997 में ''विशाखा गाइडलाइन्स'' बनायी थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला राजस्थान में भंवरी देवी गैंगरेप केस के बाद लिया था। 'विशाखा' नामक महिला वकील और राजस्थान की चार अन्य महिला संस्थानों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए 1997 में सर्वोच्च अदालत ने कामकाजी जगहों पर महिलाओं के संग दुर्व्यवहार, जेंडर आधारित भेदभादव और यौन शोषण या उत्पीड़न रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जिन्हें "विशाखा गाइडलाइन्स" के नाम से जाना जाता है। किसी भी संस्था के लिए इन दिशा-निर्देशों को पालन करना जरूरी है। साल 2012 में एक अन्य याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विशाखा गाइडलाइन्स पर अमल करने की ताकीद की थी। आइए जानते हैं क्या है विशाखा गाइडलाइन्स और इसके तहत किसी तरह शिकायत दर्ज करायी जा सकती है।  

क्या है विशाखा गाइडलाइन्स के नियम

''विशाखा गाइडलाइन्स'' के तहत कोई भी शख्स महिला के साथ जबरदस्ती यौन सम्बन्ध बनाने की कोशिश करता है तो यह अपराध है। ''विशाखा गाइडलाइन्स'' के अनुसार  यौन उत्पीड़न वह है, जिसमें कोई आपसे अनचाहे तौर पर यौन संबंध के लिए आप पर दवाब बनाता है।  सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित विशाखा दिशानिर्देश एक सुरक्षित कामकाजी माहौल को बढ़ावा देने के लिए लाया गया है। गाइडलाइन के मुताबिक, "यौन उत्पीड़न के कृत्यों को कम करने या रोकने के लिए हर दफ्तर में चाहे वह सरकारी हो या गैर सरकरकारी विशाखा की केमिटी होना अनिवार्य है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार इसके तहत के अपराधों को देखने के लिए संगठन के भीतर शिकायत समिति की स्थापना करना है। 

''विशाखा गाइडलाइन्स''  के तहत क्या -क्या मसले आ सकते हैं...

1-  शारीरिक संपर्क को गलत तरीके से बढ़ाने की कोशिश करना 

2- सेक्सुअल फेवर के लिए डिमांड करना या बार-बार उसके लिए मैसेज या अप्रत्यक्ष रूप से बोलकर अनुरोध करना।

3- आपके सेक्सुअलटी को लेकर कोई टिप्पणी करता हो या फिर कोई ऐसी बात बोलता हो, जिसको सुनकर आपको असहज लगता हो।

4- आपको कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष से अश्लील चीजें दिखाने की कोशिश करें। 

5-  ऑफिस में विशाखा समिति के जिम्मेदार व्यक्तियों का कर्तव्य होगा कि यौन उत्पीड़न के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाए। 

6- सुप्रीम कोर्ट के मुताबक, जैसे ही किसी दफ्तर में महिला इस तरह की शिकायत करती है तो उसपर जांच करनी चाहिए।

7- सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि शिकायत समिति की अध्यक्षता एक महिला द्वारा की जानी चाहिए और इसके आधे सदस्य महिला नहीं होनी चाहिए। 

अगर नहीं मिलता है विशाखा समिति से न्याय तो क्या करें?

अगर विशाखा की समिति के मिले न्याया से आप संतुष्ट नहीं हैं तो आप इसके लिए कानून का सहारा ले सकते हैं। आप एफआईआर दर्ज करवा इस मामले को लेकर कोर्ट तक जा सकते हैं। विशाखा का फैसला ही आपके लिए अंतिम फैसला नहीं है।

तनुश्री दत्ता, नाना पाटेकर और भारत का #MeToo मूवमेंट

अमेरिका से शुरू हुआ #MeToo मूवमेंट करीब दो साल बाद भारत में दोबारा शुरू हो चुका है। भारत में इसे शुरू करने का श्रेय अभिनेत्री तनुश्री दत्ता को दिया जा रहा है। तनुश्री दत्ता ने अभिनेता नाना पाटेकर पर यौन शोषण का आरोप लगा कर मधुमक्खी के छत्ते में पत्थर मार दिया। उसके बाद क्वीन फिल्म के निर्देशक विकास बहल, एआईबी के कॉमेडियन उत्सव चक्रवर्ती, लेखक चेतन भगत, टीवी चैनल आज तक के निदेशक सुप्रियो प्रसाद, टाइम्स ऑफ इंडिया के कार्यकारी संपादक गौतम अधिकार, हिंदुस्तान टाइम्स के पत्रकार प्रशांत झा इत्यादि पर #MeToo के तहत आरोप लगे।

क्या था हॉलीवुड का #MeToo

अक्टूबर 2017 में  हॉलीवुड एक्ट्रेस एलिसा मिलानो ने #MeToo हैशटैग के साथ अपने संग हुए यौन शोषण की बात सार्वजनिक की थी। एलिसा का ट्वीट वायरल हो गया और पूरी दुनिया में लाखों महिलाओं ने #MeToo हैशटैग के साथ अपने संग हुए यौन शोषण की बात सार्वजनिक की। हॉलीवुड में #MeToo कैंपेन के तहत सबसे ज्यादा आरोप मशहूर प्रोड्यूसर हार्वी वाइंस्टीन पर लगे। वाइंस्टीन पर आरोप लगाने वालों में हॉलीवडु की कई मशहूर अभिनेत्रियां थीं जिनमें ग्वीनेथ पॉल्त्रोव, एंजेलीना जोली, कारा डेलेवीने, लिया सेडॉक्स, रोजाना आरक्वेटा, मीरा सोरवीनो प्रमुख नाम हैं। इनमें से कई हिरोइनों ने इन आरोपों के सामने आने के बाद हार्वी वाइंस्टीन की प्रोड्यूस की हुई फिल्मों काम करने से मना कर दिया था। #MeToo के महिलाओं ने  #TimesUp  कैंपेन भी चलाया जिसके तहत महिलाओं से अपने हक़ के लिए खड़े होने की अपील की गयी।

टॅग्स :# मी टूसुप्रीम कोर्टयौन उत्पीड़न
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