Me Too: प्रिया रमानी के खिलाफ एमजे अकबर के मानहानि केस में फैसला 17 फरवरी तक के लिए टला
By विनीत कुमार | Published: February 10, 2021 02:53 PM2021-02-10T14:53:19+5:302021-02-10T15:05:10+5:30
साल 2018 में #MeToo अभियान के दौरान ही प्रिया रमानी ने एम. जे. अकबर पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे। विवाद बढ़ने के बाद अकबर को केन्द्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
पूर्व विदेश मंत्री एम. जे. अकबर द्वारा पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि के मुकदमे में फैसला अगले हफ्ते तक के लिए टल गया है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट इस मामले में अब फैसला 17 फरवरी को सुनाएगी।
इससे पहले अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रविन्द्र कुमार ने अकबर और रमानी की दलीलें पूरी होने के बाद मामले में फैसला एक फरवरी को सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट की ओर से आज फैसला सुनाया जाना था। उम्मीद जताई जा रही थी कि कोर्ट आज 2 बजे के बाद फैसला सुना सकती है।
Criminal defamation case filed by former Union Minister MJ Akbar against journalist Priya Ramani: Hearing in the matter adjourned till 17th February, when the Court would pronounce the judgement.
— ANI (@ANI) February 10, 2021
दरअसल 2018 में 'मीटू मुहिम' के दौरान रमानी ने अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। अकबर ने 15 अक्टूबर, 2018 को रमानी के खिलाफ उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी।
एमजे अकबर को मंत्री पद से देना पड़ा था इस्तीफा
घटना के बाद अकबर ने 17 अक्टूबर, 2018 को केन्द्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दिया। उन्होंने मीटू मुहिम के दौरान तमाम महिलाओं द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के सभी आरोपों को खारिज किया था।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री एम. जे. अकबर की ओर से अदालत से पिछली सुनवाई में कहा गया था कि पत्रकार प्रिया रमानी को उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने का कोई ‘अधिकार नहीं है’ क्योंकि उनके पास कोई साक्ष्य नहीं है। यौन उत्पीड़न की यह कथित घटना दशकों पुरानी है।
उन्होंने कहा था कि कार्यस्थल पर उत्पीड़न के खिलाफ उपचार हमेशा मौजूद था और रमानी के आरोप नेकनीयत से और जनहित में नहीं हैं।
अकबर ने अपनी शिकायत में कहा है कि रमानी करीब 20 साल पहले उनके पत्रकार रहने के दौरान अपने साथ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर उनकी (अकबर) छवि खराब कर रही हैं।
दूसरी ओर प्रिया रमानी ने अपने दावों का समर्थन करते हुए कहा था कि वे सार्वजनिक हित और भलाई के लिए ये बातें सबके सामने लेकर आईं।
(भाषा इनपुट)