नरोदा पाटिया दंगों ने कैसे बदल दी पूर्व बीजेपी मंत्री माया कोडनानी की जिंदगी, RSS से जुड़ी हैं जड़ें!

By आदित्य द्विवेदी | Updated: April 20, 2018 12:48 IST2018-04-20T12:48:26+5:302018-04-20T12:48:26+5:30

गुजरात हाई कोर्ट ने साल 2002 में नरोदा पाटिया दंगा मामले में मुख्य अभियुक्त और पूर्व बीजेपी नेता माया कोडनानी बरी कर दिया है। जानें आरएसएस की पोस्टर गर्ल माया कोडनानी की जिंदगी की सफरनामा...

Maya Kodnani: How Naroda Patiya riot changes Ex-BJP minister's Life, complete Profile | नरोदा पाटिया दंगों ने कैसे बदल दी पूर्व बीजेपी मंत्री माया कोडनानी की जिंदगी, RSS से जुड़ी हैं जड़ें!

Maya Kodnani

नई दिल्ली, 20 अप्रैलः गुजरात हाई कोर्ट ने शुक्रवार को नरोदा पाटिया दंगों में दोषी माया कोडनानी को बरी कर दिया है। इससे पहले एसआईटी की विशेष अदालत ने 29 अगस्त 2012 को गुजरात की पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता माया कोडनानी को दंगों का दोषी पाते हुए 28 साल कैद की सजा सुनाई थी। फैसले के साथ ही लोगों ने मान लिया कि एक वक्त में आरएसएस की पोस्टर गर्ल और नरेंद्र मोदी की गुजरात सरकार में मंत्री रही माया कोडनानी नाम का सितारा अस्त हो जाएगा। लेकिन उनकी जिंदगी के सफरनामे में दंगे का दाग धुलना लिखा था। 20 अप्रैल 2018 को गुजरात हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में उन्हें निर्दोष करार दे दिया।

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इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक माया कोडनानी एक आरएसएस कार्यकर्ता की बेटी थी, जो विभाजन के समय पाकिस्तान से भारत आए थे। माया ने गुजराती मीडियम स्कूल से पढ़ाई की और राष्ट्रीय सेविका समिति (आरएसएस) ज्वॉइन कर ली। उन्होंने बरोडा मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरी की पढ़ाई की है। माया कोडनानी ने नरोदा के कुबेरनगर में एक अस्पताल भी शुरू किया लेकिन जल्दी ही राजनीति में आ गई। उन्होंने 1995 में अमदाबाद निकाय चुनाव जीता और 1998 में पहली बार विधायक बनी।

2002 के गुजरात साम्प्रदायिक दंगों के दौरान माया कोडनानी पर नरोदा में दंगा भड़काने, कार में हथियार बांटने और पिस्टल से फायर करने के आरोप लगे। हालांकि पूर्व बीजेपी मंत्री ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उनका कहना था कि दंगे के वक्त वो विधानसभा में मौजूद थी। प्रत्यक्षदर्शियों के बयान और मोबाइल रिकॉर्ड से पता चला कि दंगे के वक्त माया कोडनानी नरोदा में मौजूद थी। 

2002 गुजरात दंगों के बाद माया कोडनानी के सितारे और तेजी से चमके। दंगों के बाद हुए 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की। 2007 में गुजरात सरकार में उन्हें महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री बनाया गया। 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एसआईटी का गठन किया। कई बार समन करने के बाद भी माया कोडनानी हाजिर नहीं हुई तो एसआईटी ने उन्हें भगोड़ा करार दे दिया। बाद में कोडनानी ने सरेंडर किया और मंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया। उन्हें बाद में हाई कोर्ट से जमानत मिल गई।

माया कोडनानी को अगस्त 2012 में एसआईटी की विशेष अदालत ने नरोदा पाटिया दंगो का दोषी करार दिया। फैसले पर माया का कहना था कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। फैसला आने के बाद माया और उनके पति की आंखों में आंसू थे। माया के वकील ने अदालत से गुहार लगाई कि उनके पति की तबियत ठीक नहीं है इसलिए उन्हें कम से कम सजा दी जाए। अदालत ने उन्हें 28 साल की सजा सुनाई थी। उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की।

गुजरात हाई कोर्ट  साल 2002 में नरोदा पाटिया में 97 लोगों की हत्या के मामले में शुक्रवार (20 अप्रैल) को फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने मामले की मुख्य अभियुक्त और पूर्व बीजेपी नेता माया कोडनानी समेत नौ अभियुक्तों को बरी कर दिया है। माया कोडनानी के पक्ष में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी गवाही दी।

Web Title: Maya Kodnani: How Naroda Patiya riot changes Ex-BJP minister's Life, complete Profile

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