वैवाहिक बलात्कारः सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता बोले-पतियों को मिली छूट के ना तो पक्ष में, ना ही खत्म करने के खिलाफ...

By भाषा | Updated: February 7, 2022 19:12 IST2022-02-07T19:10:21+5:302022-02-07T19:12:06+5:30

अदालत का यह निर्देश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता की इस दलील के बाद आया कि सरकार भारतीय दंड संहिता के तहत पतियों को मिली छूट के ना तो पक्ष में है, ना ही इसे खत्म करने के खिलाफ है।

Marital Rape Solicitor General Tushar Mehta neither in favor exemption given husbands nor against ending it High Court Central Government two weeks' time | वैवाहिक बलात्कारः सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता बोले-पतियों को मिली छूट के ना तो पक्ष में, ना ही खत्म करने के खिलाफ...

केंद्र को अपना रुख बताने के लिए दो हफ्ते का वक्त दे दिया।

Highlightsसंवेदनशील सामाजिक-कानूनी मुद्दा है।पीठ ने मामले की सुनवाई 21 फरवरी के लिए सूचीबद्ध कर दी। अदालत के तौर पर यह ठीक नहीं है कि हम विषय को लंबित रखें।

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में रखने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर केंद्र को अपना रुख बताने के लिए सोमवार को दो हफ्ते का समय दिया।

अदालत का यह निर्देश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता की इस दलील के बाद आया कि सरकार भारतीय दंड संहिता के तहत पतियों को मिली छूट के ना तो पक्ष में है, ना ही इसे खत्म करने के खिलाफ है। मेहता ने जोर देते हुए कहा कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में रखने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा क्योंकि यह एक संवेदनशील सामाजिक-कानूनी मुद्दा है और आगे की सुनवाई टालने का अनुरोध अनुचित नहीं था।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाओं पर केंद्र का रुख उसके अंतिम हलफनामे में प्रदर्शित हुआ था, जिसमें एक निर्णय तक पहुंचने के लिए वक्त देने का अनुरोध किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार का यह रुख नहीं है कि यह नहीं रहना चाहिए या इसे (छूट को) कायम रखा जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं कह रहा हूं कि ना ही...केंद्र सरकार का रुख अंतिम हलफनामे में प्रदर्शित हुआ था, जिसे हमने दाखिल किया था। यह नहीं कहा जाए कि हम इसे (छूट को) कायम रखने या इसे हटाने के पक्ष में है।’’

बलात्कार से जुड़े भारतीय कानून के तहत पतियों को दी गई छूट को खत्म करने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने कहा कि मुद्दे का हल अदालत या विधायिका को करना होगा और केंद्र को अपना रुख बताने के लिए दो हफ्ते का वक्त दे दिया। अदालत ने कहा, ‘‘हम आपको दो हफ्ते का वक्त देते हैं। आप वापस आइए। अदालत के तौर पर यह ठीक नहीं है कि हम विषय को लंबित रखें।’’ पीठ ने मामले की सुनवाई 21 फरवरी के लिए सूचीबद्ध कर दी। 

Web Title: Marital Rape Solicitor General Tushar Mehta neither in favor exemption given husbands nor against ending it High Court Central Government two weeks' time

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