बीजेपी के राज्यसभा सांसद संभाजीराजे छत्रपति ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को खत लिखकर मराठा आरक्षण आंदोलनों के दौरान प्रदर्शनकारियों पर दर्ज किए गए केसों को वापस लिए जाने की मांग की है।
इससे पहले आई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सत्तारूढ़ शिवसेना सरकार के गठबंधन में शामिल कांग्रेस और एनसीपी ने सीएम ठाकरे से भीमा कोरेगांव मामले में खासतौर पर दलितों को खिलाफ दर्ज वापस लिए जाने की मांग की थी।
पिछले साल जुलाई में मराठा आरक्षण आंदोलनों ने हिंसक रूप ले लिया था और पूरे महाराष्ट्र में बंद का आह्वान किया गया था। इस प्रदर्शन के हिंसक होने से कई लोगों घायल हो गए थे, जिसके बाद कई प्रदर्शनकारियों के खिलाफ केस दर्ज किए गए थे। अब बीजेपी सांसद ने इन्हीं केसों को वापस लेने की मांग की है।
क्या है मराठा आरक्षण मामला, क्यों हुआ था आंदोलन?
इसके बाद देवेंद्र फड़नवीस सरकार ने नवंबर 2018 में महाराष्ट्र विधानसभा ने सर्वसम्मति से मराठा समुदाय को नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में 16 फीसदी आरक्षण दिए जाने के कानूनी मंजूरी दे दी थी।
इससे पहले 2014 में कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने भी मराठों को आरक्षण दिए जाने को मंजूरी दी थी, लेकिन उनके इस फैसले पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी।
इस फैसले के खिलाफ फड़नवीस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, लेकिन उन्हें दोबारा हाई कोर्ट जाने का आदेश दिया गया था। तब हाई कोर्ट ने सरकार को मराठा समुदाय का पिछड़ापन साबित करने को कहा था।
इसके बाद महाराष्ट्र स्टेट बैकवर्ड क्लास कमिशन (MSBCC) ने मराठा समुदाय को सामाजिक और शैक्षिक तौर पर पिछड़ा घोषित करते हुए सरकार को इस समुदाय को आरक्षण दिए जाने के लिए उचित कदम उठाने को कहा था। मराठा आरक्षण की मांग का सभी पार्टियों ने समर्थन किया था।