महाराष्ट्र में सभी समुदायों के लिए काम करना जारी रखूंगा, चाहे मराठा हो या ओबीसी, सीएम फडणवीस बोले-मेरा उद्देश्य समुदाय को न्याय दिलाना

By सतीश कुमार सिंह | Updated: September 2, 2025 19:42 IST2025-09-02T19:32:20+5:302025-09-02T19:42:30+5:30

Manoj Jarange Patil Maratha Morcha: मराठों को आरक्षण देने को लेकर ओबीसी में कुछ गलतफहमी है, लेकिन यह गलत है: मुख्यमंत्री फडणवीस।

Manoj Jarange Patil Maratha Morcha CM Fadnavis said my aim get justice community continue work all communities in Maharashtra be Maratha or OBC see video | महाराष्ट्र में सभी समुदायों के लिए काम करना जारी रखूंगा, चाहे मराठा हो या ओबीसी, सीएम फडणवीस बोले-मेरा उद्देश्य समुदाय को न्याय दिलाना

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Highlightsजरांगे ने इसे “जीत” बताते हुए कहा कि वह अनशन समाप्त कर रहे हैं।कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने सहित उनकी अधिकांश मांगों को स्वीकार कर लिया। मराठा समुदाय के हित में समाधान निकाला गया।

मुंबईः मराठा आरक्षण आंदोलन पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मेरा उद्देश्य समुदाय को न्याय दिलाना है। महाराष्ट्र में सभी समुदायों के लिए काम करना जारी रखूंगा, चाहे वह मराठा हों या ओबीसी। कार्यकर्ता मनोज जरांगे द्वारा अनशन समाप्त करने के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, मराठा समुदाय के हित में समाधान निकाला गया। हमने कार्यकर्ता मनोज जरांगे की मांगों से जुड़े कानूनी मुद्दों से उन्हें अवगत कराया। मराठा आरक्षण पर महाराष्ट्र सरकार की मंत्रिमंडलीय उप-समिति ने कार्यकर्ता मनोज जरांगे के अनिश्चितकालीन अनशन के पांचवें दिन मंगलवार को पात्र मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने सहित उनकी अधिकांश मांगों को स्वीकार कर लिया। जरांगे ने इसे “जीत” बताते हुए कहा कि वह अनशन समाप्त कर रहे हैं।

 

इसके बाद, आजाद मेडिकल जांच के लिए एम्बुलेंस से आजाद मैदान से रवाना हुए। जरांगे की घोषणा से उनके समर्थकों में जहां जश्न का माहौल है वहीं मुंबईवासियों को राहत मिली है। कुनबी दर्जा मिलने से मराठा समुदाय के सदस्य ओबीसी आरक्षण का दावा करने के पात्र हो जाएंगे, जो जरांगे की प्रमुख मांग है।

इससे पहले दिन में, मुंबई उच्च न्यायालय ने जरांगे और प्रदर्शनकारियों को अपराह्न तीन बजे तक आजाद मैदान खाली करने का निर्देश दिया था, क्योंकि वे बिना अनुमति के धरना दे रहे थे। बाद में, अदालत ने जरांगे के इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया कि उन्हें बुधवार सुबह तक अनशन स्थल पर ही रहने की अनुमति दी जाए।

उच्च न्यायालय द्वारा स्थिति से निपटने के तरीके को लेकर राज्य सरकार की खिंचाई करने तथा बुधवार सुबह तक कानून की गरिमा बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जाने की चेतावनी देने के बाद, मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल की अध्यक्षता में एक मंत्रिमंडलीय उप-समिति ने दोपहर में विरोध स्थल पर जरांगे से मुलाकात की।

महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों से हजारों प्रदर्शनकारियों के साथ 29 अगस्त को जरांगे आजाद मैदान पहुंचे और ओबीसी श्रेणी के तहत मराठों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। सैंकड़ों प्रदर्शनकारियों ने दक्षिण मुंबई की सड़कों पर कब्जा कर लिया। प्रदर्शनकारी छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस परिसर में एकत्र थे जिससे लाखों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

उच्च न्यायालय ने प्रदर्शनकारियों को उनके अनियंत्रित व्यवहार के लिए फटकार लगाई और कहा कि वे सड़कों को गंदा कर रहे हैं और उन्हें अवरुद्ध कर रहे हैं, जिससे मुंबई सचमुच “ठप” हो गई है। विखे पाटिल और मंत्रिमंडलीय उप-समिति के अन्य सदस्यों से मुलाकात के बाद जरांगे ने प्रदर्शनकारियों से कहा, “हम जीत गए हैं।”

उप-समिति ने हैदराबाद ‘गजेटियर’ को लागू करने की जरांगे की मांगों को स्वीकार कर लिया और कहा कि कुनबी रिकॉर्ड वाले मराठों को उचित जांच के बाद जाति प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। जरांगे ने अपने समर्थकों के समक्ष समिति के मसौदा बिंदुओं को पढ़ते हुए कहा कि समिति ने हैदराबाद ‘गजेटियर’ को लागू करने की मांग स्वीकार कर ली है और तत्काल शासनादेश जारी किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि सतारा गजट का क्रियान्वयन एक महीने के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि समिति द्वारा दिए गए आश्वासन के अनुसार, मराठा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पहले दर्ज किए गए मामले सितंबर के अंत तक वापस ले लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह भी निर्णय लिया गया कि अब तक विरोध प्रदर्शनों के दौरान जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को शैक्षिक योग्यता के अनुसार एक सप्ताह के भीतर वित्तीय सहायता और सरकारी नौकरी दी जाएगी।

समिति ने जरांगे को बताया कि अब तक 15 करोड़ रुपये की सहायता (जान गंवा चुके प्रदर्शनकारियों के परिजनों को) दी जा चुकी है तथा शेष राशि एक सप्ताह में दे दी जाएगी। विखे पाटिल ने कहा कि ‘सेज सोयारे’ (रक्त संबंधी) अधिसूचना पर आठ लाख आपत्तियां प्राप्त हुई हैं और सरकार को उनकी जांच के लिए समय चाहिए।

मंत्री ने कहा कि सरकार यह कहते हुए जीआर जारी करने के लिए कानूनी विकल्प भी तलाश रही है कि कुनबी और मराठा एक ही समुदाय हैं, और इस प्रक्रिया में दो महीने लगेंगे। जरांगे की जीत की घोषणा के बाद, आजाद मैदान और उसके आसपास मराठा आरक्षण प्रदर्शनकारियों के बीच जश्न का माहौल था।

हजारों प्रदर्शनकारियों ने उनका उत्साहवर्धन किया और जब उन्होंने कहा, “जितलो रे राजे हो अपन” (हम जीत गए मेरे दोस्तों) तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। मैदान मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज के जयकारे से गूंज उठा और कार्यकर्ता खुशी में ‘हलगी’ (परंपरागत ढोल) की थाप पर नाचने लगे।

इससे पहले दिन में, जरांगे ने कहा कि वह सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, वह मुंबई नहीं छोड़ेंगे। कार्यकर्ता ने कहा कि मराठा प्रदर्शनकारियों को इस सप्ताहांत तक मुंबई आने से कोई नहीं रोक सकता।

हालांकि, उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें और उनके समर्थकों को अपराह्न तीन बजे तक आज़ाद मैदान खाली करने या कार्रवाई का सामना करने का निर्देश दिए जाने के बाद उनके सुर बदल गए। अदालत ने चेतावनी दी कि अगर जरांगे और उनके समर्थक मैदान खाली नहीं करते हैं तो उन पर भारी जुर्माना और अवमानना ​​की कार्रवाई की जाएगी।

जरांगे की तरफ से पेश वकील सतीश मानशिंदे ने कार्यकर्ता और उनकी टीम की ओर से शहर की सड़कों पर कुछ प्रदर्शनकारियों के अनियंत्रित व्यवहार के लिए उच्च न्यायालय से माफी मांगी। मुंबईवासियों को बड़ी राहत देते हुए बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति एवं परिवहन (बेस्ट) ने मंगलवार को छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) से बस परिचालन फिर शुरू कर दिया। एक अधिकारी ने बताया कि मराठा आरक्षण आंदोलन के कारण चार दिन पहले बस सेवाएं निलंबित कर दी गई थीं।

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