संप्रग शासन में मनमोहन, पवार कृषि सुधारों के पक्ष में थे, राजनीतिक दबाव के कारण विफल रहे: तोमर
By भाषा | Updated: December 28, 2020 21:25 IST2020-12-28T21:25:17+5:302020-12-28T21:25:17+5:30

संप्रग शासन में मनमोहन, पवार कृषि सुधारों के पक्ष में थे, राजनीतिक दबाव के कारण विफल रहे: तोमर
नयी दिल्ली, 28 दिसंबर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) शासनकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कृषि मंत्री शरद पवार कृषि सुधार करना चाहते थे, लेकिन ''राजनीतिक दबाव'' के कारण इन्हें लागू नहीं कर सके।
उन्होंने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार कोई भी ऐसा फैसला नहीं लेगी जो किसानों और गरीबों के लिए नुकसानदायक हो।
तोमर नए कृषि कानूनों के प्रति अपना समर्थन जताने आए 11 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे जोकि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर से आए थे।
किसान प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक के दौरान कही गई बातों का हवाला देते हुए एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सुधार के लिए जो भी सकारात्मक कदम उठाए गए हैं, कुछ वर्गों द्वारा उनका विरोध किया गया। हालांकि, यह सुधार देश की तस्वीर बदलने के लिए बेहद सहायक रहे हैं।’’
कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार गतिरोध समाप्त करने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों के साथ वार्ता कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘’ कुछ ताकतें अपनी योजनाओं को पूरा करने के चलते किसानों के कंधों का उपयोग करने का प्रयास कर रही हैं।’’
कृषि मंत्री ने दावा किया, ‘’ संप्रग शासकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कृषि मंत्री शरद पवार कृषि क्षेत्र में सुधार लाना चाहते थे। हालांकि, राजनीतिक दबाव के कारण उनकी सरकार निर्णय नहीं ले सकती थी।’’
इस बीच, शरद पवार ने नयी दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि सरकार को किसान आंदोलन को गंभीरता से लेना चाहिए।
तोमर ने यह भी कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों, कृषि वैज्ञानिकों, कृषि संगठनों और मुख्यमंत्रियों ने कृषि क्षेत्र में सुधार की सिफारिश एवं समर्थन किया था।
11 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने यहां पूसा स्थित एनएएससी परिसर में तोमर से मुलाकात की, जिनमें किसान इंडियन यूनियन (दिल्ली), राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन (उत्तर प्रदेश), कृषि जागरण मंच (पश्चिम बंगाल) और महाराष्ट्र कृषक समाज आदि शामिल रहे।
इसके साथ ही अब तक नए कृषि कानूनों का समर्थन करने वाले किसान संगठनों की संख्या करीब दो दर्जन तक पहुंच चुकी है।
सरकार ने नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 40 किसान संगठनों को सभी प्रासंगिक मुद्दों पर अगले दौर की वार्ता के लिए 30 दिसंबर को बुलाया है। सरकार द्वारा सोमवार को उठाए गये इस कदम का उद्देश्य नये कानूनों पर जारी गतिरोध का एक ‘‘तार्किक समाधान’’ निकालना है।
उल्लेखनीय है कि एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान डेरा डाले हुए हैं। वे तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इन किसानों में ज्यादातर पंजाब और हरियाणा से हैं।
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