विशेष विवाह अधिनियम के तहत नोटिस का अनिवार्य प्रकाशन निजता के अधिकार का उल्लंघन : अदालत
By भाषा | Updated: January 13, 2021 20:45 IST2021-01-13T20:45:23+5:302021-01-13T20:45:23+5:30

विशेष विवाह अधिनियम के तहत नोटिस का अनिवार्य प्रकाशन निजता के अधिकार का उल्लंघन : अदालत
लखनऊ, 13 जनवरी इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी के लिए संबंधित नोटिस को अनिवार्य रूप से प्रकाशित कराने को निजता के अधिकार का उल्लंघन मानते हुए इसे वैकल्पिक करार दिया है।
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की अदालत ने अभिषेक कुमार पांडे द्वारा दाखिल एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए कहा कि विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी के लिए 30 दिन पहले नोटिस का अनिवार्य प्रकाशन कराना स्वतंत्रता और निजता के बुनियादी अधिकार का उल्लंघन है।
उन्होंने अपने आदेश में कहा कि नोटिस के अनिवार्य प्रकाशन से विवाहित जोड़े की अपने जीवनसाथी के चुनाव करने की स्वतंत्रता प्रभावित होगी।
पीठ ने कहा कि अब से विवाह के इच्छुक पक्षों के लिए यह वैकल्पिक होगा, उन्हें मैरिज अफसर को यह लिखित अनुरोध देना होगा कि वह अपने विवाह संबंधी नोटिस को प्रकाशित कराना चाहते हैं या नहीं।
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