जनादेश मायने रखता है, आलाकमान नहीं: अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के लिए चुने गए श्री थानेदार

By भाषा | Updated: November 5, 2020 15:22 IST2020-11-05T15:22:30+5:302020-11-05T15:22:30+5:30

Mandate matters, not high command: Mr. Thanedar elected to US House of Representatives | जनादेश मायने रखता है, आलाकमान नहीं: अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के लिए चुने गए श्री थानेदार

जनादेश मायने रखता है, आलाकमान नहीं: अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के लिए चुने गए श्री थानेदार

मुंबई, पांच नवंबर अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के लिए 93 प्रतिशत मतों के साथ चुने गए श्री थानेदार का मानना है कि चुनाव में जनादेश मायने रखते हैं, न कि पार्टी आलाकमान।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं बेलगाम में गरीबी में पला-बढ़ा। मैं आम आदमी के मुद्दों को जानता हूं। मेरे इलाके में लोग कभी यह सोचते थे कि कैसे मेरे जैसा कोई ‘बाहरी’ व्यक्ति उनकी समस्याओं का समाधान कर सकता है।’’

पूर्व वैज्ञानिक एवं भारतीय मूल के 65 वर्षीय कारोबारी ने मराठी टीवी चैनल एबीपी माझा से कहा, ‘‘अमेरिका ने मुझे बहुत कुछ दिया है। मैंने सोचा कि मुझ पर देश का ऋण हूं तो इसीलिए मैंने लोगों की सेवा करने के लिए राजनीति में आने का फैसला किया।’’

थानेदार ने अपने चुनाव प्रचार के लिए 4.38 लाख डॉलर जुटाए। इसमें से ज्यादातर राशि उन्होंने अपनी संपत्ति से जुटाई। प्राइमरी चुनाव में उनके सामने उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी के छह प्रतिद्वंद्वी थे।

उन्होंने कहा कि बहुत से लोग उनके बारे में यह जानते थे कि वह 2018 में मिशिगन राज्य के गवर्नर पद के लिए प्राइमरी चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार थे।

थानेदार ने कहा, ‘‘मैं लोगों की समस्याएं समझने के लिए घर-घर गया। परिणाम यह निकला कि मुझे 93 प्रतिशत मत प्राप्त हुए, जबकि मेरे रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी को केवल छह प्रतिशत वोट ही मिले।’’

उन्होंने मराठी में दिए गए साक्षात्कार में अपने लिए वैसे ही शब्द का इस्तेमाल किया जैसा कि भारत में नेता अपने लिए करते हैं।

थानेदार ने कहा, ‘‘यदि मैं गवर्नर के रूप में चुन लिया गया होता तो इसके लिए मैंने उन मुद्दों का चयन कर रखा था जिनका मैं समाधान करता। अब मैं इनका समाधान ‘आमदार’ के रूप में करूंगा।’’ उन्होंने अपने नए पद को वह नाम दिया जो भारत में विधायक के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

उन्होंने कहा कि वह 24 साल की उम्र में अमेरिका पहुंचे थे और वहां पहुंचकर वह वैज्ञानिक एवं कारोबारी बन गए।

थानेदार ने कहा, ‘‘यहां आलाकमान के लिए कोई जगह नहीं है। सभी शक्ति लोगों के पास है जो प्राइमरी में मतदान करते हैं और अपना उम्मीदवार चुनते हैं। आपको लोगों की कृपा की आवश्यकता होती है, न कि पार्टी आलाकमान की कृपा की।’’

उन्होंने कहा कि वह डेट्रोयेट नगरीय क्षेत्र में अवसंरचना और शिक्षा सुविधाओं में सुधार चाहते हैं तथा इन्हें नि:शुल्क करना चाहते हैं। वरिष्ठ नागरिकों की स्वास्थ्य देखभाल भी चिंता का विषय है।

मिशिगन के थर्ड डिस्ट्रिक्ट से जीत दर्ज करने वाले थानेदार ने कहा कि उन्होंने अपने चुनाव प्रचार के लिए कॉरपोरेट घरानों या अन्य संगठनों से अंशदान स्वीकार नहीं किया।

थानेदार ने 1979 में उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका जाने से पहले बंबई विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की थी।

Web Title: Mandate matters, not high command: Mr. Thanedar elected to US House of Representatives

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