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ममता ने केंद्रीय बलों को हटाने की मांग की, मोदी पर लगाया असंवेदनशील होने का आरोप

By भाषा | Updated: April 26, 2021 19:26 IST

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कोलाकाता, 26 अप्रैल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को राज्य में कोविड-19 संक्रमण के प्रसार पर काबू पाने के प्रयास के तहत राज्य में अगले चरण के मतदान से केंद्रीय बलों को हटाने की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने मद्रास उच्च न्यायालय की उस टिप्पणी का स्वागत किया गया जिसमें कहा गया था कि संक्रमण के प्रसार के आरोप से निर्वाचन आयोग बच नहीं सकता।

बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर असंवेदनशीलता होने का आरोप भी लगाया। बनर्जी ने आरोप लगाया कि जब ‘‘श्मशान में बड़े पैमाने पर चिताएं जल रही थीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाषण देने में व्यस्त थे।’’

उत्तर कोलकाता में पार्टी कार्यकर्ताओं और प्रत्याशियों की बैठक में बनर्जी ने कहा, ‘‘मैं मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करती हूं जिसमें साफ तौर पर कहा गया कि निर्वाचन आयोग अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और निर्वाचन आयोग दोनों ही इस स्थिति (राज्य में संक्रमण के प्रसार) के लिए जिम्मेदार हैं।’’

मुख्यमंत्री ने दावा किया, "जब श्मशान घाटों पर सामूहिक चिताएं जल रही थीं, मोदी 'मन की बात' के भाषण देने में व्यस्त थे।"

इससे पहले सोमवार को मद्रास उच्च न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के बीच विधानसभा चुनाव कराने पर निर्वाचन आयोग को फटकार लगाई थी।

मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति एस राममूर्ति की पीठ ने जनहित रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्वाचन आयोग को सबसे अधिक गैर जिम्मेदार करार दिया। इस याचिका में याचिकाकर्ता ने कोविड-19 नियमों का अनुपालन करते हुए दो मई को करूर में निष्पक्ष मतगणना सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।

बनर्जी ने कहा,‘‘मैं अनुरोध करती हूं कि कृपया करके कोविड-19 प्रभावित राज्यों से लाए गए करीब दो लाख केंद्रीय बलों के जवानों को वापस ले लिया जाए, जो स्कूलों, कॉलेजों और सुरक्षित आश्रयों में रह रहे हैं और कोविड-19 प्रबंधन को बाधित कर रहे हैं, उनमें से 75 प्रतिशत वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। कृपया करके उन्हें अंतिम चरण के चुनाव से हटाया जाए।’’

बनर्जी ने कहा कि निर्वाचन आयोग जिस तरह से पश्चिम बंगाल में चुनाव करा रहा है तृणमूल कांग्रेस चुनाव के बाद उसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हम उच्चतम न्यायालय को बताएंगे। चुनाव आयोग ने कोविड-19 मामलों में बढ़ोतरी के बावजूद मतदान के चरणों को एकसाथ नहीं जोड़ा।’’

पश्चिम बंगाल में कोविड-19 के पुष्ट मामलों की संख्या 1 अप्रैल को 81,466 से बढ़कर 25 अप्रैल को 3.52 लाख हो गई है।

मुख्यमंत्री ने दावा किया कि भाजपा ने निर्वाचन आयोग द्वारा तैयार आठ-चरण के मतदान कार्यक्रम को प्रभावित किया है और यह कि कार्यक्रम 'मंडल’ (भाजपा पार्टी द्वारा निर्धारित संगठनात्मक ढांचा) पर आधारित है, न कि किसी तर्क पर। उन्होंने कहा, ‘‘(अकेले) कोलकाता में अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तारीखों पर चुनाव हुए।’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मुझे नौ बार उत्तर बंगाल का दौरा करना पड़ा था क्योंकि आस-पास के क्षेत्रों में अलग-अलग दिनों में मतदान हुए। (ऐसा इसलिए किया गया ताकि) भाजपा नेताओं को अधिकतम कवरेज मिले और मुझे प्रचार करने से रोका जा सके। कोलकाता को तीन चरणों में चुनाव कराने के लिए तीन हिस्सों में बांटा गया था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, मैंने भी अपने चोटिल पैर के साथ 50 दिनों तक प्रचार किया।’’

चुनाव आयोग के विशेष पर्यवेक्षकों और जिला मजिस्ट्रेटों और पुलिस अधीक्षकों के बीच एक कथित व्हाट्सऐप वार्तालाप का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘वे टीएमसी को मुश्किल उत्पन्न करने वाला और हमारे लोगों को टीएमसी गुंडे के रूप में वर्णित कर रहे हैं। वे बातचीत में भाजपा के बारे में इस तरह के शब्दों का उपयोग नहीं करते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा के नजदीकी कुछ पुलिस अधीक्षकों को नियुक्त करके करके, चुनाव आयोग छह-सात और अधिक सीटें जीतने में भाजपा की मदद कर सकता है, लेकिन तृणमूल का 200 सीटों का आंकड़ा पार करना तय है।’’

बनर्जी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने भाजपा के इशारे पर एक सूची तैयार की जिसने उत्तर कोलकाता निर्वाचन क्षेत्रों में 29 अप्रैल को होने वाले चुनावों से पहले पुलिस को एंटली और बेलगछिया क्षेत्रों से पार्टी के प्रमुख सदस्यों को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया गया है।

उन्होंने दावा किया, ‘‘रानीनगर (मुर्शिदाबाद जिले में) (केंद्रीय) बल हमारे (स्थानीय) नेता के आवास पर उग्र व्यवहार किया। हम प्राथमिकी दर्ज करा रहे हैं।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने कोविड-19 की स्थिति का सही तरीके से प्रबंधन नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री और गृह मंत्री एक तरह से तीन महीने तक बंगाल में डेरा डाले रखा और कोविड -19 संकट को नजरंदाज किया।’’

बनर्जी ने कहा, ‘‘उन्होंने उन महीनों में ऑक्सीजन की आपूर्ति को मजबूत करने की योजना नहीं बनाई, लेकिन लोगों को रिश्वत देने के लिए पीएम केयर्स फंड से पैसा खर्च किया। मुझे बताया गया था कि कुछ लोगों को भाजपा के वास्ते प्रचार करने के लिए 25 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं सोच रही हूं कि क्या संस्था (ईसी) ऐसे में लोकतंत्र की रक्षा करने में सक्षम है जब सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी गवर्नर के रूप में नियुक्ति की चाहत रखे हुए हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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