महाराष्ट्र भी झेल रहा है कुपोषण की मार, हर तीसरा बच्चा है इसका शिकार

By नितिन अग्रवाल | Published: June 22, 2019 08:40 AM2019-06-22T08:40:12+5:302019-06-22T08:49:20+5:30

सबसे ज्यादा कुपोषण वाले बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और गुजरात के मुकाबले यह कम है. स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद बड़ी संख्या में छोटे बच्चे कुपोषण की मार झेल रहे हैं.

malnutrition in Maharashtra every third child is hunting it | महाराष्ट्र भी झेल रहा है कुपोषण की मार, हर तीसरा बच्चा है इसका शिकार

malnutrition in Maharashtra every third child is hunting it

महाराष्ट्र में पांच साल से छोटे 36 प्रतिशत बच्चे कम वजन के 25.6 निष्क्रिय और 34 प्रतिशत से अधिक ठिगने कद के हैं. कुपोषण की मार झेल रहे इन बच्चों में से 10.5% बच्चे अत्यधिक कम वजन, 9.4 अत्यधिक निष्क्रिय और 12.9 प्रतिशत अति ठिगने कद के हैं.

हालांकि, सबसे ज्यादा कुपोषण वाले बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और गुजरात के मुकाबले यह कम है. स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद बड़ी संख्या में छोटे बच्चे कुपोषण की मार झेल रहे हैं. देशभर में 35.7% बच्चे कम वजन, 21% निष्क्रिय और 38% से ज्यादा ठिगने हैं. लोकसभा में स्वास्थय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि कुपोषण के शिकार इन बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है.

जिसके चलते हड्डियों के साथ अन्य प्रकार के संक्र मण का आसानी से शिकार होकर वह विकलांग भी हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि बच्चों में कुपोषण को दूर करने के लिए मुख्य रूप से एकीकृत बाल विकास योजना चलाई जाती है. इसके अतिरिक्त सूक्ष्म पोषण तत्व संपूर्ण कार्यक्रम, गहन डायरिया नियंत्रण, जननी शिशु सुरक्षा, रोग प्रतिरक्षण, गृह आधारित युवा बाल परिचर्या कार्यक्र म (एचबीवाईसी) चलाए जाते हैं.

इन कार्यक्रमों से पिछले दस वर्षों में बच्चों की पोषण की स्थिति में सुधार हुआ है. 10 वर्षों में राज्य में 88 करोड़ खर्च मंत्री द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार 2005-06 में 5 साल से कम उम्र के 48% बच्चे छोटे कद के थे, जो आज 38% पर आ चुकी है. इसी तरह से कम वजन वाले बच्चों की संख्या 42.5 से 32.7% और खून की कमी वाले बच्चों की संख्या 69.4 % से घटकर 58.5 % हो गई है.

हालांकि इस दौरान निष्क्रिय बच्चों की संख्या 19.8 से बढ़कर 21 % और अति निष्क्रिय बच्चों की संख्या 6.4 से बढ़कर 7.5% हो गई है. इन दस वर्षों में कुपोषण को दूर करने के लिए लगभग 771 करोड़ रु पए खर्च किए गए, जिसमें से 88 करोड़ रु पए महाराष्ट्र में खर्च किए गए. 5 साल से कम बच्चों में कुपोषण की स्थिति राज्य कम वजनी अति कमवजनी निष्क्रिय अति निष्क्रिय ठिगने अति ठिगने बिहार 43.9 15.2 20.8 7 48.3 23.1 गुजरात 39.3 12.4 26.4 9.5 38.5 16.5 झारखंड 47.8 17.4 29 11.4 45.3 20.2 मध्यप्रदेश 42.8 14.3 25.8 9.2 42 18.6 उत्तरप्रदेश 39.5 12.2 17.9 6 46.2 21.2 गुजरात 39.3 12.4 26.4 9.5 38.5 16.5 महाराष्ट्र 36 10.5 25.6 9.4 34.4 12.9 अखिल भारतीय 35.7 11 21 7.4 38.4 16.

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