खड़गे का दावा- राष्ट्रपति मुर्मू को संसद भवन के उद्घाटन के लिए नहीं बुलाया गया, कांग्रेस अध्यक्ष ने मोदी सरकार पर कसा तंज
By मनाली रस्तोगी | Published: May 22, 2023 03:18 PM2023-05-22T15:18:42+5:302023-05-22T15:21:16+5:30
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस सप्ताह नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उनके पूर्ववर्ती राम नाथ कोविंद को आमंत्रित नहीं करने के लिए सोमवार को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर निशाना साधा।
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस सप्ताह नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उनके पूर्ववर्ती राम नाथ कोविंद को आमंत्रित नहीं करने के लिए सोमवार को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने भाजपा सरकार पर बार-बार संवैधानिक मर्यादाओं का अनादर करने का आरोप लगाया और कहा कि राष्ट्रपति कार्यालय को प्रतीकवाद तक सीमित कर दिया गया है।
लोकसभा सचिवालय के अनुसार, पीएम मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट करते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है कि मोदी सरकार ने चुनावी कारणों से राष्ट्रपति का चुनाव दलित और आदिवासी समुदायों से कराया।
It looks like the Modi Govt has ensured election of President of India from the Dalit and the Tribal communities only for electoral reasons.
— Mallikarjun Kharge (@kharge) May 22, 2023
While Former President, Shri Kovind was not invited for the New Parliament foundation laying ceremony…
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उन्होंने आगे कहा, "जहां नई संसद के शिलान्यास समारोह में पूर्व राष्ट्रपति श्री कोविंद को नहीं बुलाया गया तो वहीं भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं किया जा रहा है। भारत की संसद भारत गणराज्य की सर्वोच्च विधायी संस्था है और भारत का राष्ट्रपति इसका सर्वोच्च संवैधानिक अधिकारी है। वह अकेले ही सरकार, विपक्ष और हर नागरिक का समान रूप से प्रतिनिधित्व करती हैं।"
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आगे लिखा, "वह भारत की प्रथम नागरिक हैं। उनके द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा। मोदी सरकार ने बार-बार मर्यादा का अपमान किया है। भारत के राष्ट्रपति का कार्यालय भाजपा-आरएसएस सरकार के तहत प्रतीकवाद तक सिमट गया है।"