मकर संक्रांतिः राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भागलपुर के कतरनी चूड़ा का स्वाद चखेंगे, जानिए खासियत
By एस पी सिन्हा | Published: January 12, 2021 03:03 PM2021-01-12T15:03:45+5:302021-01-12T15:04:57+5:30
makar sankranti 2021: बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज प्रखंड के आभा रतनपुर निवासी राणा सूर्य प्रताप सिंह के खेतों में उपजा कतरनी धान से चूड़ा बनवाया गया है.
पटनाः मकर संक्रांति के मौके पर इस साल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भागलपुर के कतरनी चूड़ा का स्वाद चख सकेंगे.
मकर संक्रांति के दिन दही-चूड़ा और तिलकुट खाने की परंपरा है. भागलपुर के प्रसिद्ध कतरनी का चूड़ा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को विशेष तौर पर भेजा गया है. भागलपुर जिला प्रशासन के निर्देश के बाद जैविक विधि से उपजाए गए कतरनी धान से चूड़ा बनवाकर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित 200 विशिष्ट लोगों के लिए एक-एक किलो का 200 पैकेट कतरनी चूड़ा दिल्ली भेजा गया है.
भागलपुर जिले के प्रभारी कृषि पदाधिकारी दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि खास किस्म के चूड़े को लेकर कृषि विभाग की परियोजना आत्मा के निदेशक प्रभात कुमार सिंह और प्रदुमन कुमार को दिल्ली भेजा गया है. पहले यह चूड़ा बिहार भवन जाएगा और वहां से राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री कार्यालय सहित 200 विशिष्ठ लोगों के घरों तक पहुंचाया जाएगा.
सिंह ने बताया कि यहां से पहले भी जदार्लू आम राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजा जाता रहा है. भागलुपर जिला उद्यान पदाधिकारी विकास कुमार ने बताया कि कई जगहों से सैंपल मंगाए गए थे जिनमें से आभा रतनपुर गांव के किसान का सैंपल चयन किया गया है. कतरनी भागलपुर की विशिष्ट पहचान है.
रतनपुर गांव में कतरनी धान की खेती बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के सलाह पर की गई है. कतरनी चावल काफी सुगंधित होता है. भागलपुर की मंडी से कतरनी चूड़ा और चावल दिल्ली, बनारस, पटना, लखनऊ सहित दक्षिण भारत के कई शहरों में भी जाता है.
मकर संक्रांति पर भागलपुर की कतरनी बिहार का पसंदीदा सौगात माना जाता है. उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरपुर की प्रसिद्ध शाही लीची भी प्रतिवर्ष गर्मी के मौसम में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित कई हिस्तयों को भेजी जाती है. लीची के बगानों से पहले सैंपल मंगवाए जाते हैं और फिर मीठी और रसीली लीची का चयन कर उसे दिल्ली भेजा जाता है.