दिल्ली की हवा में प्रदूषण का प्रमुख कारण वाहनों से निकलने वाला धुंआ, पराली की हिस्सेदारी 23 प्रतिशत

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 16, 2023 09:24 PM2023-11-16T21:24:15+5:302023-11-16T21:25:24+5:30

चिकित्सकों का कहना है कि दिल्ली की प्रदूषित हवा में सांस लेना एक दिन में लगभग 10 सिगरेट पीने के हानिकारक प्रभावों के बराबर है। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक उच्च स्तर के प्रदूषण के संपर्क में रहने से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और श्वसन संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं या बढ़ सकती हैं और हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है।

main cause of pollution in Delhi's air is smoke emitted from vehicles share of stubble stubble burning 23 percent | दिल्ली की हवा में प्रदूषण का प्रमुख कारण वाहनों से निकलने वाला धुंआ, पराली की हिस्सेदारी 23 प्रतिशत

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlights राजधानी के वायु प्रदूषण में वाहनों के उत्सर्जन का योगदान लगभग 38 प्रतिशत यह आंकड़ा 40 फीसदी तक बढ़ने का अनुमानअगले कुछ दिन तक भी राहत के आसार नहीं हैं

नई दिल्ली: दिल्ली की वायु गुणवत्ता बृहस्पतिवार को बहुत खराब और गंभीर श्रेणी के बीच रही। ऐसा इसीलिए हुआ, क्योंकि प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों के कारण प्रदूषक कणों का बिखराव नहीं हो पाया। दिल्ली सरकार और राष्ट्रीय प्रौद्योगिक संस्थान-कानपुर की एक संयुक्त परियोजना के हालिया निष्कर्षों से पता चला कि बुधवार को राजधानी के वायु प्रदूषण में वाहनों के उत्सर्जन का योगदान लगभग 38 प्रतिशत था। बृहस्पतिवार को यह आंकड़ा 40 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है।

माध्यमिक अकार्बनिक एयरोसोल- सल्फेट और नाइट्रेट जैसे कण जो बिजली संयंत्रों, रिफाइनरियों और वाहनों जैसे स्रोतों से गैसों और कण प्रदूषकों की परस्पर क्रिया के कारण वायुमंडल में बनते हैं- दिल्ली की हवा में प्रदूषण के दूसरे प्रमुख योगदानकर्ता हैं। पिछले कुछ दिनों में शहर के प्रदूषण में माध्यमिक अकार्बनिक एयरोसोल का योगदान 30 से 35 प्रतिशत रहा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने बताया कि हवा नहीं चलने और कम तापमान के कारण प्रदूषक तत्व हवा में बने हुए हैं और अगले कुछ दिन तक भी राहत के आसार नहीं हैं। उन्होंने बताया कि 21 नवंबर के बाद हवा की गति में सुधार से वायु प्रदूषण के स्तर में कमी आ सकती है।

दिल्ली का बीते 24 घंटों का औसतन वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शाम चार बजे 419 रहा। एक्यूआई बुधवार शाम चार बजे 401 दर्ज किया गया था। मंगलवार को यह 397 था। सोमवार को यह 358 और रविवार को 218, शनिवार को 220, शुक्रवार को 279 था। पड़ोसी गाजियाबाद (376), गुरुग्राम (363), ग्रेटर नोएडा (340), नोएडा (355) और फरीदाबाद (424) में भी वायु गुणवत्ता बहुत खराब से गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई। शून्य से 50 के बीच एक्यूआई 'अच्छा', 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब', 401 से 450 के बीच 'गंभीर' और 450 से ऊपर 'अत्यधिक गंभीर' माना जाता है।

राज्य सरकार द्वारा निर्माण कार्य और शहर में डीजल से चलने वाले ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध सहित कड़े कदम उठाए जाने के बावजूद पिछले कुछ दिनों से दिल्ली की वायु गुणवत्ता का स्तर गिर रहा है। प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों के योगदान की पहचान करने के लिए पुणे स्थित भारतीय ऊष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान द्वारा विकसित एक प्रणाली के अनुसार, बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण में पराली जलाने की घटनाओं की हिस्सेदारी 23 प्रतिशत थी। बृहस्पतिवार को इसके 11 फीसदी और शुक्रवार को चार प्रतिशत रहने का अनुमान है।

चिकित्सकों का कहना है कि दिल्ली की प्रदूषित हवा में सांस लेना एक दिन में लगभग 10 सिगरेट पीने के हानिकारक प्रभावों के बराबर है। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक उच्च स्तर के प्रदूषण के संपर्क में रहने से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और श्वसन संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं या बढ़ सकती हैं और हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है। वाहन उत्सर्जन, धान-पुआल जलाने, पटाखे और अन्य स्थानीय प्रदूषण स्रोतों के साथ प्रतिकूल मौसम संबंधी स्थितियां, सर्दियों के दौरान दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में खतरनाक वायु गुणवत्ता स्तर में योगदान करती हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के विश्लेषण के अनुसार, दिल्ली में एक से 15 नवंबर तक प्रदूषण चरम पर होता है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं की संख्या बढ़ जाती है।

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