हम गांधी जी को किसी भी टाइम मशीन में रख सकते हैं, किसी भी युग में ले जा सकते है, हम उन्हें हर युग में प्रासंगिक पाएंगेः कोविंद
By भाषा | Published: August 23, 2019 06:00 PM2019-08-23T18:00:13+5:302019-08-23T18:00:13+5:30
गांधी जी शांति और सहिष्णुता, आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसे मौजूदा दौर की चिंताओं में भी अत्यंत प्रासंगिक हैं।’’ कोविंद ने कहा, ‘‘आज पूरे विश्व में जो हिंसा और विद्रोह की घटनाएं हो रही है उनमें अधिकांश पूर्वाग्रह पर आधारित है। ये हमें दुनिया को ‘हम लोग बनाम वे लोग’ के आधार पर देखने के लिए बाध्य करती है।’’
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि महात्मा गांधी के मूल्य सभी युगों के लिए बेहद प्रासंगिक है और उन्होंने हमें सिखाया कि हमारे कार्यों का उद्देश्य दूसरे मनुष्यों की प्रतिष्ठा और नियति को मजबूत करने वाला होना चाहिए।
कोविंद ने दयालुता पर आयोजित विश्व युवा सम्मेलन में यह टिप्पणियां कीं। यूनेस्को, महात्मा गांधी शांति एवं सतत विकास शिक्षा संस्थान और मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यह सम्मेलन आयोजित किया। उन्होंने कहा, ‘‘हम गांधी जी को किसी भी टाइम मशीन में रख सकते हैं और उन्हें मानव अस्तित्व के किसी भी युग में ले जा सकते है , हम उन्हें हर युग में प्रासंगिक पाएंगे। हमारे युग में भी यह सच है।
गांधी जी शांति और सहिष्णुता, आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसे मौजूदा दौर की चिंताओं में भी अत्यंत प्रासंगिक हैं।’’ कोविंद ने कहा, ‘‘आज पूरे विश्व में जो हिंसा और विद्रोह की घटनाएं हो रही है उनमें अधिकांश पूर्वाग्रह पर आधारित है। ये हमें दुनिया को ‘हम लोग बनाम वे लोग’ के आधार पर देखने के लिए बाध्य करती है।’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘गांधीजी के आदर्शों का पालन करते हुए हमें और हमारे बच्चों को ‘उन लोगों’ के साथ बातचीत करने और घुलने-मिलने का प्रयास करना चाहिए। परस्पर बातचीत से हमारी समझ बेहतर होती है और इससे हमें पूर्वाग्रहों पर विजय प्राप्त करने में मदद मिलती है।
‘वसुदैव कुटुम्बकम : समकालीन भारत के लिए गांधी: महात्मा गांधी की 150वीं जयंती का जश्न’ विषय पर आयोजित हुए इस सम्मेलन में एशिया, अफ्रीका, लातिन अमेरिका और यूरोप समेत 27 से अधिक देशों के तकरीबन 1,000 युवाओं ने भाग लिया।
कोविंद ने कहा, ‘‘अब से कुछ सप्ताह बाद दो अक्टूबर को हम अपने राष्ट्रपिता की 150वीं जयंती मनाएंगे। उनके मूल्य हमारे लिए काफी प्रासंगिक है। गांधी का जन्म भारत में हुआ लेकिन उनका संबंध पूरी मानवता से है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने हमें सिखाया कि हमारे कार्यों का उद्देश्य अंतत: अन्य मनुष्यों की प्रतिष्ठा और नियति को मजबूत करने वाला होना चाहिए।’’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मेरे लिए वह वर्ग और नस्ल की सीमाओं से परे ‘प्रयोगात्मक गांधी’ हैं। एक ‘रचनात्मक गांधी’ जिन्होंने नमक को जन आंदोलन के एक शक्तिशाली प्रतीक में बदल दिया और एक ‘दृढ गांधी’, जिन्होंने अपने दुबले शरीर के साथ हिंसा के व्यापक अंधेरे के बीच सच के चिराग के साथ भारत के गांवों की यात्रा की जिससे हमें आजादी मिली।’’
सम्मेलन का उद्देश्य युवाओं में सहानुभूति, सद्भावना और जागरूकता की भावना जागृत करना है ताकि वे अपने आप में परिवर्तन कर सकें और अपने समुदायों में स्थायी शांति का माहौल बना सकें।