मुंबई, 27 मार्च: महाराष्ट्र के पुणे में सोमवार (26 मार्च) को कंजरभाट समुदाय के लोग जिला कलेक्टर के कार्यालय के सामने "कौमार्य परीक्षण" के खिलाफ प्रचार के कर रहे लोगों के खिलाफ सड़क पर उतरे। इस मामले में स्थानीय जिला कलेक्टर राजेंद्र मुघे ने कहा कि समुदाय में कौमार्य परीक्षण की परंपरा यह सुनिश्चित करती है कि महिला का चरित्र सुरक्षित है। उन्होंने यह भी कहा कि यह परम्परा यह दावा करती है कि इस समुदाय की हर महिला अपनी लक्ष्मण रेखा के अंदर रहती है। कंजरभाट समुदाय महाराष्ट्र में एक घूमंती जनजाति है।
बता दें कि अभी हाल ही में कुछ महीने पहले प्रियंका तमाईचेकर (26) और सिद्धांत इंद्रेकर (21) ने युवाओं में जागरुकता फैलाने और इस तरह के वर्जिनिटी टेस्ट पर नजर रखने के उद्देश्य से वॉट्सऐप ग्रुप बनाया था। एक प्राइवेट कंपनी के साथ काम कर रहीं प्रियंका ने बताया था कि उनके इस कदम का बहुत विरोध हो रहा है और पैरंट्स अपनी लड़कियों को वॉट्सऐप ग्रुप छोड़ने का दबाव बना रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ सिद्धांत ने बताया कि उन्होंने हाल ही में समुदाय के प्रमुख का एक विडियो रेकॉर्ड कर लिया जो ऐसे ही एक केस की 'सेटिंग' करने के लिए सौदेबाजी कर रहे थे।
क्या है कौमार्य परीक्षण? इसके तहत शादी के बाद पहली रात नई बहू की वर्जिनिटी जांची जाती है। इसके लिए सुहागरात को सफेद चादर बिछाई जाती है और सुबह उसकी जांच होती है। अगर उस पर खून के दाग पाए जाते हैं तो बहू को वर्जिन माना जाता है और शादी मान्य होती है अन्यथा बहू के परिवार को शादी मान्य करवाने के लिए जुर्माना भरना पड़ता है।
परीक्षण में फेल होने पर मिलती है सजा? महाराष्ट्र के कंजरभात समुदाय के लोग सदियों पुरानी इस वर्जिनिटी टेस्ट की परंपरा को आज भी फॉलो करते हैं। इसमें 'फेल' होने पर कपड़े उतारना, शरीर के अंगों को दागना, खौलते तेल में से सिक्का निकालना जैसे दंड दिए जाते हैं।